Monday 14 September 2020

मरहा जी आपला शत् शत् नमन*। (संस्मरण)

 *मरहा जी आपला शत् शत् नमन*। (संस्मरण)


छत्तीसगढ़ के माटी सपूत श्री विशंभर यादव मरहा के जनम दुर्ग जिला के ग्राम बघेरा मा 6 अप्रैल सन् 1931 मा होय रहिस।

मरहा जी हर जब अपन संघर्ष भरे जिनगी के 70  बरस गुजार डारे रहिस,तब ग्राम सुरगी जिला राजनांदगांव मा आयोजित एक कवि सम्मेलन मा उकर ले पहली बार मुलाकात करे के अवसर मिलिस। तब मॅंय अनुभो करेंव उकर जिनगी हा तो सादगी के प्रतिमान आय।

कवि सम्मेलन मा जाय बर कतको दूरिहा सायकिल मा चल देंवय। 

कोनो मनखे मन कहुं उकर शरीर के उपर टिप्पणी कर देतिन अउ पइसा कौड़ी ला लेके घालमेल कर देतिन ता उनकर मनले कभू प्रतिकार नइ करय। फेर कोई कहुं छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान ला ठेस पहुंचाय के कोशिश करय ता उनला ओतरी बेर भरपूर खुराक पानी देय बर कभु नइ पिछवाय। 


     सन् 2003 कुॅंवार नवरात्रि परब के बात आय ,जब साकेत साहित्य परिषद सुरगी जिला राजनांदगांव के द्वारा ग्राम सुरगी मा कवि सम्मेलन के आयोजन रखे गे रिहिस।

          ये आयोजन के खास बात ये रिहिस कि कार्यक्रम मा छत्तीसगढ़ के दुलारा जनकवि श्री विशंभर यादव मरहा जी घलव  कार्यक्रम के नेवतहार कवि रिहिस अउ महुं ला ओ कवि सम्मेलन मा कवि के रूप मा नेवता मिले रिहिस।


    उही समय डोंगरगांव क्षेत्र मा ग्राम मोहड़ के श्री तिलोक राम साहू "बनिहार" हर छत्तीसगढ़ी आसु कवि के रूप मा बड़ नामी रहिस।जेन हर मरहा सही निरक्षर रहे के सेती , अपन रचना ला दूसर ला लिखवाय।

 बनिहार जी के भी आमंत्रित कवि मा नाम रिहिस, उनकर ले सहमति अउ उनला सुरगी तक पहुचाय के जुम्मेदारी मोला मिले रहिस।

बिना बिलमे उहीच दिन बनिहार जी ला नेवता देके उनकर ले सहमति प्राप्त कर लेंव।

     आयोजन तिथि के दिन कवि सम्मेलन मा शामिल होय खातिर मॅंय अपन गृह ग्राम कलडबरी ले  बनिहार जी ला लाय बर फटफटी मा उॅंकर गाॅंव मोहड़ पहुचगेंव।


  मॅंय मने मन मा धन्य मनात रहेंव कि आज मरहा अउ बनिहार  दूनो जनकवि के सुग्घर मेल-जोल , गोठ बात होही।

    फटफटी मा बनिहार जी ला बैठारेंव अउ डोंगरगांव- अर्जुनी- राजनांदगांव के रस्ता डहर ले सुरगी जाय बर मॅंय मोहड़ ( डोंगरगांव) ले रवाना हो गेंव।

           हम दूनो , बेर बुड़ताहा सुरगी मा पहुॅंच गयेन। नेवतहार कवि मन के अराम अउ भोजन के बेवस्था भाई ओमप्रकाश साहू अंकुर के घर मा रखे गय रहिस।उहे पहुंच के हम दूनो अराम करत रहेन। उही कोनों 10-15 मिनट के बाद ग्राम निकुम निवासी गीतकार कवि श्री प्यारे लाल देशमुख अउ व्यंगकार श्री डी.पी. श्याम कुॅंवर के संग परम आदरणीय कवि श्री विशंभर यादव मरहा जी के आगमन होइस।

   जिनगी भर गरीबी ले लड़ने वाला ,पातर -दुबर बड़े दिलवाले जनकवि ले अब्बड़ दिन के बाद मिलके दिल ला सकून मिलिस।

      सादा धोती-कुर्ता अउ गाॅंधी टोपी पहिरे बड़े कद के आदमी ले मिलके मोर मुड़ हा अपने आप ओकर पाॅंव मा नव गे। खुशी रहे के आशीर्वाद देवत मोला  किहिस " *कुकुर अउ कोलिहा के सींग होतिस ते का होतिस* "

   आदरणीय मरहा जी हर मोला मोर नाव ले जानय कि नइ जानय मॅंय नइ कहि सकॅंव फेर उकर साथ हर मंच मा पढ़े गय ये रचना के माध्यम ले मोला जरूर जानय। हर बेर सही यहू बेरा मा।

मरहा जी के संग मा दो काव्य गोष्ठी अउ तीन कवि सम्मेलन मा सॅंघरे के सौभाग्य मिलिस, जेला उमर भर मॅंय नइ भूला सकॅंव।

     सामान्य गोठबात के बाद मॅंय श्री तिलोक राम साहू बनिहार जी से मरहा जी के परिचय करायेंव।

बनिहार जी हा आशु कवि तो रहिस सामान्य गोठबात ला घलव कविता शैली मा गोठियाय के शुरू करदिस ।

   जरवत ले जादा गोठियाय मा गड़बड़ी घलव हो जथे, जेहा होइचगे।

        सिद्धांत वादी मरहा जी के पूरा जिनगी हा तो कला अउ कविता के साधना मा बीते रहिस। उनला तो अभाव मा जीये के कला अपन विरासत मा मिले रहिस ,जेला उमर भर अपन छाती मा लगाके मंच  मा दहाड़- दहाड़ के जीये रहिस।

     अभाव के भट्ठी मा तपके निखरे मनखे हा दिखावा ला भला कइसे बर्दाश्त कर सकतिस । मरहा जी हा तिलोक राम साहू बनिहार के उपर बनेच बिफर गय अउ कविता के मान सम्मान ला कायम रखे बर जमके खबर लिस। ये सब देख सुन के मॅंय हर असहज हो गय रहेंव।

           मेल-जोल के बाद दूनो झन ( बनिहार अउ मॅंय) घर ले  गली डहर टहले बर निकलेन। तब बनिहार हा मोला कहिस- "बबा हा भड़क गे रहिस बघेल।" अउ अपन गलती ला स्वीकार घलव करिस,तब कहिं जाके मोला बने लागिस।


         भोजन करे के बाद कवि सम्मेलन शुरू होइस, जब मरहा जी के पारी आइस, बिना रुके धड़धड धड़धड़ जब कविता पढ़िस ते सुनइया मन झूम उठिन।

    उमर के ये पड़ाव मा जब उकर स्वास्थ्य घलव ऊंच नीच हो जाय, तब ले उकर जोश मा कोई कमी नइ आइस।

     निरक्षर होय के बाद उनला सैकड़ों कविता मुखाग्र याद रहिस। भइसा- मेचका अउ उड़िया जइसन हास्य कविता ला पढ़के स्रोता मन ला लोटपोट करइया मरहा, वीरांगना झलकारी बाई वाले कविता ला पढ़के स्रोता मन के अंतस मा देशप्रेम के भावना ले भर देवय।

मरहा हा जीवन भर सच्चाई, ईमानदारी अउ प्रेम ला अपन मीत बनाके जीवनयापन करिस, बइमानी के हलवा पूरी ले गुरबत के दू रोटी मा गुजारा करना सदा उचित समझिस अउ जिनगी भर सरकार के आघू मा कभू हाथ नइ पसारिस,सुख सुविधा नइ लिस।

   मरहा हर काव्य मंच मा शिष्ट साहित्यकार मन के दोमुंहा व्यवहार ले  हमेशा नाखुश रहिस।

अउ आखिर मा तारीख 10/08/2011 के ये दुनिया ला चेतावत देह त्याग दिस कि जीना होय ते छत्तीसगढ़िया सही अउ मरना होय ते छत्तीसगढ़िया सही, जइसन कि एक आम छत्तीसगढ़िया हा जीथे, अभाव मा..., गरीबी मा..., कि घाट के माटी अउ चीता के आगी ला घलव शर्मिंदा झन होना पड़े।

     यादव जी के मरहा उपनाम ले ही हमन उकर व्यक्तित्व अउ कृतित्व ला समझ सकथन।

 मरहाच हा भूगोल, इतिहास अउ अर्थशास्त्र हरे , आम छत्तीसगढ़िया के समाजशास्त्र हरे।

आज हमर बीच मरहा नइहे, फेर ओकर सरल ,सहज व्यक्तित्व हा हम सबके अंतस मा बसे हे जे हम सबला छल कपट ,आडंबर ले हटके सिरतोन मनखे बने के कला सिखाथे।

🙏मरहा जी आपला शत् शत् नमन🙏


महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव

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