Wednesday 9 September 2020

लघु कथा-विजेंद्र वर्मा

 लघु कथा-विजेंद्र वर्मा

*ददा*


गाँव मा किसुन नाँव के गरीब किसान अउ ओकर मयारुक बाई दुलौरिन अपन बेटा टीकम के पढ़ाई बर अतेक चिंता करय।ओकर चिंता ला देख के पारा परोसी मन तको किहिस लइका बड़ हुसियार हाबय किसुन, हमुमन थोरको मदद दे देबो।येला शहर के बने असन स्कूल मा भरती कर दे।अउ उहें नानमुन खोली किराया से लेके पढ़न देतेच। सप्ता सप्ता मा जा के खंगे बढ़े समान अउ देख रेख करके आवत जात रहिबे,तभे लइका के मन पढ़ई मा बने लगे रहितिस।भल ला भल जान के शहर के स्कूल मा भर्ती करवाइस।फेर मयारुक किसान किसुन अउ दुलौरिन अपन बेटा के शहर जाय ले बड़ परेशान राहय।तेकरे सेती किसुन हा तीन चार दिन मा सायकल मा देखेच बर टीकम करा पहुँच जाय।टीकम बने समझदार अउ हुसियार सबो कक्षा मा पहिलीच नंबर लावय। गुरुजी मन टीकम के पढ़ई लिखई ला देख ओकर बिकटे मदद तको करय। हाईस्कूल पास होय के बाद कालेज मा एडमिशन लेथे।बड़ सिधवा अउ गाँव के लइका ला देख शहर के बड़े आदमी के टूरा टूरी मन वोला देहाती देहाती कइके चिढ़ावय।कतको वोला चिढ़ावय तभो ले वोहा अपन धुन मा राहय।कखरो संगत मा नइ आवत रिहिस। कालेज के परीक्षा मा तको वोहा टाप मा आगे।जेन मन अब देहाती काहय तेन मन संगवारी बनाय खातिर बिकटे ओकर पाछू पाछू घुमँय।अब तो ओकर जेन भी समस्या होवय वोला इही मन दूर करे बर धर लिस।टीकम के दोस्ती तको अब बड़का बड़का घराना के लइका मन से होगे।इही बीच टीकम के फाइनल परीक्षा मा अंक मेरिट मा आय के सेती बने नौकरी लग जथे।टीकम हा अब शहरी रंग मा बदलत संगी साथी अउ बिकटे फैइला डरिस।रेहे बर एक बड़का मकान किराया मा ले लिस।किसुन काहते रिहिस बड़का घर झन ले बेटा अभी अकेल्ला हाबस,नानमुन घर मा काम चला।शादी होही पत्तो आही त भले बड़का मकान ले लेबे। नइ मानिस अब ददा के कहाँ सुनही,समे बीतत गिस अब तो टीकम के रंग ढंग सबो बदल गे रिहिस।एक दिन मूड़ मा बोझा बोहे बोरी मा चाउँर दार धरके किसुन हा बेटा के मया मा बइहा बने स़ंझा कुन शहर रेंग देथे।शहर पहुँचिस त देखिस टीकम के घर मा उँकर संगवारी मन के मेला लगे राहय।बड़का बड़का गाड़ी घरे दुवारी मा खड़े राहय। संगवारी मन ओकर कोनों सिगरेट ते कोनों अउ दूसर नशा मा डूबे राहय।फेर किसुन हा ये सब ला देख के दंग रहिगे।

एक झन संगवारी हा टीकम ला पूछ परिस मइलाहा कुरता धोती पहिने बोझा धरे कोन आय हे। टीकम हा संगवारी मन करा रुतबा दिखात तपाक ले दबे जुबान मा बोल परिस,गाँव ले नौकर दार चाउँर अमराय ले आय हे।अतका सुन के बपुरा किसुन के तेरवा ठनक गे।बोरी ला मूड़ ले पटकिस अउ बोलिस तोर नौकर नोंहव रे बेटा,तोर दाई के नौकर अँव।ओकरे मया हिलोर मारत रिहिस तेकरे सेती आय रेहेँव। मेंतो तोर जइसन औलाद उप्पर थूकना पसंद नइ करँव।दाई के मया के समान ला पटक के किसुन हा वोतके जुवर गारी देवत बइमान गतर के संगवारी मन करा ददा ला नौकर काहत तोला लाज नइ आवत हे रे कइके किसुन हा गुनत गुनत गाँव लहुट जथे।


विजेन्द्र वर्मा

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