Friday 17 July 2020

मयाँ अमोल होगे (नारी प्रधान कहानी)

मयाँ अमोल होगे      (नारी प्रधान कहानी)
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       भाग----1                         --- राधेश्याम पटेल

भादो के महिना...पानी हा झोर झोर गीरत रहय
खेत निंदईया मन निंदाई करत रहँय..बजरहिन हा
सुखमत ला कथे ---
                        " ले$$ न ओ सुखमत ...बने असन  एको ठन गीत सुना डार... बारा हा बजत हे..पेट हा साँय साँय करत हे...थोरक मनों हाँ बहल जाही.."
       " टार ओ$$$ शुरु तो करवा देथा ...फेर झोंके नई लागा त मोला अद्धर अद्धर लागथे भई..."--सुखमत हा निहरेच निहरे मुठा के बन ल जुरियावत कहिस..!
--सुखमत के गोठ ल सुन के सबो निंदईया मन ....ले तैं गा तो हमन झोंकबो कहिके ओला गाय बर शुरु करवाईन..!
-- सुखमत ददरिया गाय बर शुरू करिस...
बने सबो मिलके झोंकिन...गीत के सिराते अब सुखमत ह कथे-- 
"मोर बद्दी तो चुकागे...अब कोनो छोट मोट किस्सा कहा तव हमर बेरा घलोक कट जाही भई..."
 फिरतिन कथे ---" अब हमर बबा के पारी हे ... किस्सा कहे बर "
गोठ मा सबो हाँ मँ हाँ मिलाईन.. !
       बबा तो बबेच रहय ...ना जाने कतका किसा अऊ गीत गोबिंद ओखर मँगज मा गँजाय रहय तेखर गिन्ती नई रहय...ओखर सुनाय किस्सा मानँव  बिते बितात जिनगी सऊँहे आघू मा आ के माढ़ गय हो तईसे लागय ...गीत होय चाहे कहानी  किस्सा ...एक बेर शुरु हो जाय तव संगवारी मन ला बेरा के गमे नई लगे दय... आज फेर बबा के पारी आय हे..!
   "मैं कहे बर तो कईहँव नोनी हो फेर ...तुहाँर मन नई आही तव झन कईहा के ...का किस्सा ल सुनाईस बबा ह..." 
      ---बबा ह कन्हियाँ ला सीधा करके काँदी ल हाँथ म धरेच धरे कहिस..!
सुखमत हा तुरते कथे---  " कोनो नई कहन बबा.. तोर कोती ले मैं गवाही हँव..."
--सुखमत के गोठ ला सुनके सबो हाँस दिन..!
बबा के नाँव मंगल रहय  उमर अऊ आदत बेव्हार के सेति सबो के मयारुक बबा के हाना ...किस्सा ...गीत सबो ला बने लागय.. ..  बबा हा बने हुँकारु देहा भई कहिके  किस्सा कहे ला शुरु करिस---
      " एक ठन गाँव रहय नोनी हो...!  जेखर नाँव रहय ..,पनगाँव ... उहें एक झन माई लोगिन रहय तेखर नाँव रहय अनसुहात ...फेर वोला सबो नवाँपरहिन नवापरहिन कहँय काबर के वोहा नवाँपारा ले आय रहय...!"
---फिरतिन हा बिचे माँ बबा ल टोंकत कथे --- " सहीं किस्सा कहत हस बबा...के अईसने बना के कहत हस...?"
---बबा हा कथे -- " तू मन ला पेंड़ गिनना हे के आमा खाना हे..?"
--सबो झन हाँस परिन ...
--" ओईसे तैं सहीं कहत हस बेटी ...! ऐहा कोनो तईहा के किस्सा नोहँय... सियानन ले सुने सहीं घटना आय..."
--बबा फेर कहे ल चालू करिस--
--"तव नोनी होवा ...! नवाँपरहिन के किस्मत माँ भगवान हा दुखे दुख लिखे रहय...बिचारी हा सुख कभू नई पाईस ...न मईके ...न ससुरे..नवाँपरहिन
दू महिना के रहय तभे महतारी मरगे...घर मा बाप के छोंड़ अऊ कोनो नई रहँय..!
पारा परोस के मन जरुर सोगावँय बिचारी ल...फेर कोनो धोधवी कहँय त कोनो रेंटही त कोनो पेटली...! अब रँग रुप नई रहय त का करय वोला जईसन भगवान गढ़े रहय तईसन रहय।"
--बबा के कहे के ढंग हा सब ला मोक ले रहय
बुता मा जाँगर तो चलत रहय फेर सबके मती बबा के किस्सा मा अरझ गय रहय..! बबा फेर साँस लेके  किस्सा ल आघू बढ़ावत कथे --
--" तव नोनी होवा...! अभी महतारी ला मरे बछर भर नई होय रहय तभे बाप हा मौसी दाई ले आईस
साल भर मा ओखरो नोनी लईका होगे ...अब मउसी महतारी ल तो अपने बेटी ले फुरसत नई रहय त सऊत के लईका के जतन कती ले करय..ओखर नोनी ल भगवान बने सुग्घर गोरी नारी बनाय रहय ...फेर का पुछत हावा नोनी होवा बाप के मया घलव बिहई के बेटी बर कम होय लागिस...मौसी दाई सँग बाप घलो मोसिया बाप बनगे रहय...।
मउसी महतारी वोला अनसुहात कहिके हूँत करावय
देखा देखी मा पारा मोहल्ला अऊ बाप घलो बर बिचारी हा अनसुहाते होके रहिगे...!बिचारी के कोनो पुजारी नई रहय ...खाय हे त खाय हे ...नई खाय हे तव परे हे सोज्झे भूखे पेट अनजतन..पारा के कोनो कभू कहिदँय लईका के जतन नई करच ओ कहिके ...तव मउसी महतारी के रीस अँड़ेरी के बँड़ेरी चढ़ जाय ....आगी हो जय.. कहईया मन अपन कस मुँह करके रेंग देवँय...!
धीरे धीरे बेरा पाँखी लगा के उड़ाय लागिस...दिन हा महिना अऊ महिना बछर होगे...अब अनसुहात नोनी हा देखते देखत बर बिहाव के लाईक होगे ...
अनसुहात नोनी बर मयाँ तो बाप घलो ला नई रहय फेर...अतका सुरता जरुर रहय के ओखर बड़े बेटी
अब बिहाव करे लाईक होगे हे...!
भगवान के किरपा होईस अऊ नोनी के बिहाव होगे...फेर कथें न...भगवान जऊन करम मा लिख दे हे तेन तिल घटय ना राई बढ़य..!
अनसुहात मईके ले बिदा होके ससुरार आईस तव ओहू हुरसेटहा घरऊल मा परगे...ओखर गोसईया
बनसुर्रा  तो दुच्छा बनसुर्रेच रहय...कभू अनसुहात मेरन मिठ भाखा नई गोठियाईस ...सास ससुर जउन रहँय तेन तो रहिबे करँय ऊपर ले बनसुर्रा मार पीट अलग करय....!
अनसुहात ला आय अभी साल भर घलो नई होय रहय के बनसुर्रा हा आने सुवारी ले आईस... अनसुहात के जी धक ले रहिगे..फेर का करय बिचारी छाती मा पथरा लदक के सहिगय..!
बिना गल्ती के गल्ती बहुत कुछ सुने सहे ल तो परते रहिस...अब सऊत के नाव लेके ओखर कल्लाई अऊ बाढ़े लागिस फेर कभू ऊँच भाखा मा कोनो ला जुवाप नई करिस अऊ करतिच काखर बल मा.... ओकर मयाँ दऊँड़ईया कोनो तो नई रहिन ...न मईके न ससुरे...दूनो जघा बरोबरे रहय ओखर बर कुछू बदले रहय तव ...नाँव.. अनसुहात ले अब सबे झन वोला ओखर मईके गाँव के नाँव ले नवाँपरहिन कहँय
नवाँ परहिन के दुख ल देख के घर के कमिंयाँ जरुर सोगावय... फेर गरुवा भईंसा के चरईया नउँकर भला कोन आधार मा कहय...तेखरे सेती चुपे रहि जाय.. हाँ कभू कभू नवाँपरहिन के बुता काम मा ओखर मदत जरुर कर देवय...!
अईसने दुख बिपत ला झेलत अनसुहात नवाँपरहिन
के दिन हा बीते लागिस...ऐही बेरा मा ओकर एक झन नोनी घलो अँवरगे तव सोचिस के अब मोर दुख के करिया बादर छँट जाही...फेर अईसन नई होईस
बेटी जनमाय हस कहिके ससुरार के मन आऊ दुख देहे लागिन..!
बुता काम के सपेटा --खवाई पियाई मा ठिकाना नहीं
ऊपर ले मुँड़ भर के चिंता ...कतेक ला सहय बिचारी बिमार परगे... तीन दिन ले ...खटिया ले नई उठे सकिच तभो ओकर गोसईया अऊ सास ससूर के आँखी नई उखरिस...उल्टा सास हा गारी देव...
मरबो नई करय फलालिन हाँ..नखरा देखात हे..
सुतना सुते हे....बुता काम लाओखर बाप हा आके करही.?
अनसुहात के आँखी ले आँसू हा करा बरोबर टपकय
सास के गारी सुनके फेर का करय...गोसईया घलो तो निच्चट निर्मोहिया रहय ...!
कमियाँ बिचारा ओकर दुख ला नई देखे सकिस तव
दवाई ला के देहिस...अनसुहात के आँखी ले आँसू आगे... कमियाँ कोत ला देखत रहिगे..कमियाँ हा दवाई ल देके रेंगते रेंगिस...!
नवाँपरहिन मन मा गुने लागिस--- अपन ले अकतिहा मयाँ तो दूसर ह करत हे...वाह रे भगवान...!मोला अपन तीर बला ले ... अब नई सहात हे..! मन हाँ काहाँ काहाँ धउँड़े लागिस... महतारी के सुरता आगे जेला जानबो नई करय ....हिचक हिचक रोय लागिस...!
अभी जर बुखार हा उतरेच नई पाय रहय...दूसर दिन ओखर सास ल खभर लगिस के कमियाँ बैजू हा ओकर बर दवाई लाईसे... तव ऐ बात ला अपन बेटा बनसुर्रा ल घलव बता डारिस ... कमियाँ ल कुछू कहिन तो नहीं फेर  बिहान भय ले ओला काम ले निकाल दिन...!
कमियाँ समझ गे चुपचाप चल दिस...नवाँपरहिन ला ऐ बात के खभर लगिस तव वोला अब्बड़ दुख होईस...जान डरिस बैजू के नउकरी ओकरे सेती छूटिस हे...सोगातिस नही तव अईसन होतिस नही
.... का करय बिचारी मन ला मसोस के रही गे...!
रात भर नवाँपरहिन सोय नी सकिस..मन हा बैजू कमियेच कोती जावय...सोचत सोचत नवाँ परहिन
रात भर आँसू बोहवावत रहिगे...!
अनसुहात के करम माँ तो दुख नानपन ले लिखाय रहय अऊ सबो ला सहत आवत रहय फेर ओ दिन के घटना ले ओकर मन --- खाय पीये ...काम बूता घर दुआर लईका कुछू मा नई लागे लगिस ... मन हाँ बैजूच कोति अरझे रहय...!
जब थोर थोर तबियत मा सुधार आईस तहाँ ले घर
के काम जोंगाय लागिस...आज बिहनियाँ ले नवाँपरहिन हाँ हँसिया धरके काँदी लूऐ बर निकल गे
रहय...बनेचकन लू के बोजहा बाँध डारे रहय फेर कमजोरहा देंह ले बोजहा उठत नी रहय...ठउँका ओतके बेरा बैजू घलाव ओही कोत पहुँचगे ... सायित वोहू हा काँदी लूऐच बर गये रहय...
" बने लागिस हे गऊँटनिन...?"
नवांपरहिन ला देख के बैजू हा पुछ बईठिस...!
--" थोर थोर लागिस हे बैजू ...! तबे तो काँदी लूऐ बर आये हँव.."   -- नवाँपरहिन हा बैजू ठहर ला देख के कहिस...!
--"बोहादँव गऊँटनीन...बोजहा ला तो खुबेच बड़का बाँध डारे हावा.."   --- बैजू हा बोजहा ला देखत कहिस..!
---नवाँ परहिन कथे ---" बोजहा ल तो बोह लेहँव बैजू
फेर तोर उठाय बोजहा ला कईसे उतारिहँव..मोर बर दवाई नई लाते ता तोर बूता नई छुटतिस ...तैं अपन बिगाड़ काबर करे..?"
--कहत कहत नवाँपरहिन के आँखी ले आँसू आगे
"का होईस गऊँटनिन ...काम तो अऊ कोनो मेरन मिल जाहय ...फेर रोज रोज तुहँर दुख ल देखे ल तो नई मिलही...!" गोठियावत बैजू के नरी भर्राय लगिस..!
"मोर अतका बड़ उमर मा मोर बर अतका कोनो नई सोगाईन बैजू...फेर तैं मोर बर अतका काबर सोगाथस...? मै तोर कुछू लागमानी तो नोहँव ..फेर अतका पिरित काबर..?---नवाँपरहिन एके साँस मा ओरिया डारिस..!
" मया काखर बर कईसे छलक परथे तेला बताय नई जाय सकय गउँटनिन..!तुहाँर बर मोर ऐ पीरित हा
तुहाँर अनसम्हार दुख के परिनाम आय..!
--बैजू हा गोठियाते गोठियात बोजहा ला बोहाये बर निंहरिस..! काँदी ला बोह के नवाँपरहिन घर कोती तो आगे फेर ओखर चेत बैजू के कहे बात मा घेरी बेरी अरझत रहय..!
धीरे धीरे दिन हा बीते लागिस...कभू कभू नवाँपरहिन के भेंट बैजू मेरन हो जावय अऊ दूनो एक दूसर के हाल चाल पूछ के रेंग देवँय... दूनो ल ऐ बात के डर लगे रहय के कोनो गोठियात देख लेहीं तव फेर घर मा अंदोहल हो जही...!
धीरे धीरे अईसन दिन आगे के दूनो ला भेंट होय के इंतजार रहे लागिस... !
एक दिन भेंट होईस तव नवाँपरहिन ला बैजू हा कहिथे--- 
"एकठन ठन बात कहे के मन हो थे गउँटनिन ....
गुस्सा झन...!"
"बताना बैजू ...काबर गुस्साहूँ..."  ---नवाँपरहिन कहिस...!
हमर ऐ तरा मिलई गोठियई हा हमर जी के काल हो सकत हे ....तुहँर मन होय तव तव जिनगी भर बर तुहँर संग देहे बर मैं तियार हँव..."  --- बैजू मन के बात कहि तो डारिस एक साँस मा लकिन जीव हा धकनकाय लागिस ... अऊ नवाँपरहिन अब्बक होके बैजू के मूँह ल देखे लागिस...!
बैजू डराय असन फेर कथे---  "गलती कहि परे होहूँ
त ..."  --- बैजू के गोठ ला बीचे मा काट के नवाँपरहिन हा कथे...
"तैं मोला अतका मयाँ करथच बैजू...?"
----"हाँ गउँटनिन... मै तुहँला बहुत जादा मयाँ करे लागे हँव ..फेर बिना तुहाँर मनके ...."
--- फेर ओखर गोठ बीचे मा काटके नवाँपरहिन कथे
" अब मोर मन मोर काहाँ हे बैजू...? मोर मन तो  तोर अंतस मा समा गे हे ..."
--- नवाँपरहिन के आँखी ले आँसू उमड़ परिस गंगा जमुना असन..!
--बैजू हा अपन बात कहे के बाद अऊ कुछू कहे के हिम्मत नई कर पात रहय... नवाँपरहिन आँसू ल पोंछत कहिथे---
" मोर करम मा रोना ही लिखाय हे बैजू ...नई लगय के तोर टारे ले टर जही"
---"अईसे बात नई ये गउँटनिन ... अगर तूँ हिम्मत करा तव तुहाँर दुख दुरिहा सकत हे..."
---" जिनगी के फैसला अतका जल्दी नई होय बैजू
फेर मै सादी सुधा अँव दुनियाँ का कईही ...?
---"लकिन मैं सोच डारे हँव... तूँ कहिहव त मै तुहँला अपन बना के संग लेग जाहँव ...नही ता मैं गाँव ल छोड़के बाहिर निकल जाहँव.."
---"मोला सोचे बर कुछ बेरा चाही बैजू ..!"
---"मैं तुहँका जिद्द नई करँव गउँटनिन..."
--- बैजू के गोठ सिराय नई रहय आघू डहर ले कोनो आवत देख के नवाँपरहिन रेंग दिस घर कोती ... बैजू चलो थोरक मा रेंग परिस....!
          --- वो दिन दूनो के भेंट नई हो पाय रहिस चार दिन गुजर गे ...फेर एक दिन कोनो के मुँह ले नवाँपरहिन हा सुनिस के बैजू हा कमाय खाय बर सहर कोती चल देहे हे...सुन के नवाँपरहिन के मन हा फेर अद्धर अद्धर लगे लागिस...बैजू के रहते वोला भेंट के अपन कुछ दुख पीरा ला भुला जावय.. अब वोला अपन जिनगी बोजहा कस गरु लागे लागिस...!
----वो डहर बैजू शहर म तो आगे रहय फेर ओखरो मन उजरे उजरे कस लागय आँखिर सहर मा मुस्कुल से एक महिना रहिस तहाँ फेर गाँव आगे
 आँखिर जेन होवईया रहय तउने होगे...!
अनसुहात नवाँपरहिन अपन लईका ल घर मा छोंड़के बैजू संग गाँव ले निकल गे..!
---गाँव मा खूब हो हल्ला होईस...जै मनखे तै गोठ
पर सार बात रहय के नवाँपरहिन बैजू ल लेके भाग गे...!
सहर मा पहूँच के बैजू अऊ नवाँपरहीन मंदिर मा बिहाव करलिन अऊ किराया के घर लेके परेम से कमाँय खाय लगिन...बैजू हा दिन भर रिक्सा चलावय अऊ नवाँपरहिन हा कालोनी मा घर के काम बूता करय..दूनो बड़ खुश रहँय...नवापरहिन ला तो मानो सरग मिल गे रहय...जिनगी मा पहिली बार भगवान ओला सुख देहे रहय..फेर कभू कभू अपन बेटी के सुरता मा रोवय जरुर फेर अपन गलती बर काला दोस देवय ....धीरे धीरे दू महीना कईसे नहँक गे पते नई चलिस...फेर कथें ना के जेखर करम मा भगवान दुखे दुख लिख दे होय वोला खुसी हा जादा दिन नई फूरय...!
एक दिन बैजू हा रिक्सा चलावत कार मा ठोंका गय
नवाँपरहिन ला जब पता चलिस तव बैजू मेरन अस्पताल कोती दउँड़त भागिस...!
                                                            -----   क्रमश:

राधेश्याम पटेल

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