Friday 3 July 2020

थोड़ीक परियावरण के चेत करव*

*थोड़ीक परियावरण के चेत करव*

आज रोज के भाग दउड़ ले भरे जिनगी म , मनखे मन हर अतेक बियाकुल रहिथे । की उनकर मन मेर ना तो  खुद के अपन परिवार बर घलव समय नइ निकल पावय , आज के ये मशीनी युग म , मनखे मन हर घलव मशीने मन असन होंगे हावय । जउन मन हर बस रात दिन हाय हटर हाय हटर कमईच म लगे रहिथे । अइसन मन ल ना तो  अपन खुद के तबियत पानी के खियाल राहय , अउ न अपन परिवार वाला मन संग न अपन समाज वाला मन के । सिरतोन म आज कल के मनखे मन कोनो मशीन मन ले कम नइ हे । ता हम कइसे कहि सकथन , की  मनखे मन हर अब दूसर अउ कोनो जिनिस मन के बारे मा सोचत होही । आज हम हमर ये परियावरण के बारे मा गोठ करबोन ,  हमर परिवार अउ ये समाज हर जउन वातावरण ले बने हावय । ओ वातावरण ला हम सबो झन परियावरण कहिथन , परियावरण हमर चारो मुड़ा म हमन ला जउन हर पूरा सबो डहर ले घेर के राखे हावय असल म उही हर परियावरण आय । हमर तीर तखार के नदियाँ नरवा ,  जंगल झाडी रुखराइ , डोंगरी पहाड़ी , ये सबो मन हर हमन ला प्रकृति ले दे , हमर मन के सुग्घर चिन्हारी असन भेंट ये । जीखर मन ले हमर ये परियावरण हर बनथे , अउ परियावरण म ही सबो जीव जन्तु मन के संग , हमर मानव समाज के घलव इही मा निर्माण होथे । आज परियावरण हर हम सबो ल सबे किसम के जिनिस मन ल , देके भरपूर सुख शान्ति अउ खुशी देवत आवत हावय । अउ आघू घलव अइसने देवत रही , लेकिन आज हम सबो मनखे मन हर अपन म , अतका मगन होंगे हावन । की आज हम सबो झन परियावरण ऊपर कतको भारी बिपति आवत हे , तभो ले हमन हर जान के घलव अनजान बन जावत हन ।  येखर सब ले बड़का कारण इही हावय की हमला काय करना हे , येला हम अकेल्ला थोड़े मइलात हावन अउ गन्दगी ला फइलावत हावन । अउ हमर एक झन के करे ले का होही , आज हमर सबे झन के सोच हर अइसने हे होंगे हावय । आज प्रकृति हर हमन ल अतेक अकन सुग्घर खनिज सम्पदा , मन के संगे संग हमर मन के जिनगी बर घलव जरूरी जिनिस मन ल बिना स्वारथ के , हमन ला देय हावय । फेर आज कल के मनखे मन हर ये सबो जिनिस मन के किम्मत ला भुलागे हावय । आज हमर पिए के जउन पानी हे , ओहर हमला पेवर शुद्ध नइ मिलत हावय । अउ आज हमन जउन हवा म सांस लेवत हन ओ हवा हर , घलव हमला शुद्ध नइ मिलत हवै । ये सबो के सबला बड़का कारन खुद हमी मनखे मन हर हरन । जउन मन हर सिरिफ अउ सिरिफ अपन स्वारथ ल ही देखथन । आज बड़े - बड़े चलत फेक्टरी अउ कारखाना , अउ रोज के भारी दउड़त मोटर गाडी , इनकर मन ले , निकले जहरीला धुँवा हर हमर साफ हवा म मिलके ओला जहरीला बना देथे । जउन ल हमन वायु प्रदूषण कहिथन । ओइसने कारखाना मन ले निकले गंदा पानी ल नदियाँ मन म छोड़ देथे , जेखर ले ओ पिए के पानी हर पूरा जहरीला हो जथे । अउ किसम किसम के बिमारी मन ल मनखे मन तक पहुचाथे , येला हमन हर जल प्रदूषण कहिके जानथन । आज तो अइसे देखे जावय ता हमर मन के बीच म , बहुत अकन प्रदूषण मन हर हावय । जिनकर मन के कहूँ वर्णन करे जावय ता , कइ ठन पेज हर अइसने भर जाही । मानव जाति के संग सबो जीव जन्तु मन ल जिनगी जीये बर भगवान हर मानव ये पाँच ठन जिनिस दे हावय - हवा , आगी , पानी , धरती , अउ आकाश । कहिथे घलव हमर ये तन (काया , शरीर)  हर  इही पाँचो जिनिस मन ले मिलके बने हावय । अउ मनखे के सरग सिधारे के बाद ये तन हर घलव इही पाँचो महाभूत (पंचमहाभूत) म मिल जथे ।  हमर वैज्ञानिक मन हर घलव बताथे , की कोनो भी ग्रह म ये पाँचो जिनिस मन के बिना । उँहा जीवन नइ मिलय कहिके । तेपाय के ये पाँचो जिनिस ल जिनगी के मूल आधार माने गे हावय । आज हमर फइलाय प्रदूषण के असर हर अतेक घातक होंगे हावय , की हमर आकाश के ऊपर म बने ओजोन के परत ल छेदत हावय । अउ ओजोन परत के छेदा होय ले सुरुज म ले निकले खतरनाक लेजर किरण मन , हर मनखे मन तक पहुँचत हावय ।  जउन हर मनखे मन ल भारी नुकसान पहुँचावत हे , जेखर ले केंसर अउ कइ प्रकार के बिमारी मन हर मनखे मन मा होवत हावय । आज के ये सब कारखाना फेक्टरी मन हर सब काखर ये हम सब के , रोज चलत मोटर गाडी मन हर सब काखर ये हम सबेच के ये । अउ आज ये जउन परियावरण म प्रदूषण फइले हे  येखरो सब ले बड़का कारन अउ जुमेदर हम सबे झन हरन । अगर आज कहूँ हम हमर परियावरण बर जाग के सचेत नइ त होयेन । ता बज्जुर आप सबो झन देख लेहव ये परियावरण के प्रदूषण हर हमन ला ,  एक दिन बाढ़ के बड़ भारी नुकसान पँहुचाही । अब समय आगे हावय की हम अपन घर परिवार के संगे संग परियावरण के घलव थोड़ीक खियाल करिन । अउ गन्दगी मन ला जतेक जादा हो सकय , फइलाय ले बाचीन अउ दूसर मन ला घलो फइलाय ले बचाइन । अपन आस पड़ोस मा सफाई रखे के संगे संग , जतेक जादा हो सकय पेड़ पउधा मन ला लगाइन , अउ उखर मन के सुरक्षा करत , परियावरण ला प्रदूषण होय ले बचाइन ।   

             मयारू मोहन कुमार निषाद
               गाँव - लमती , भाटापारा ,
         जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)

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