Friday 24 July 2020

सबके भला करय

सबके भला करय
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सूत के उठे नइ रहेंव। बड़े बिहिनिया ले राम राम के बेरा म खोर के कपाट के संकरी ल बाजत सुनके कपाट ल खोलेंव त उहाँ मुहल्ला के छाँटे चार झन झगराहा मन खड़े राहयँ। ओ मन ल बरवँट के बाजवट म बइठे ल कहिके घर कोती चाय बनाये कहे बर चल देंव। तहाँ ले उँकर सो बइठ के पूछेंव-- ले बतावव भाई हो कइसे आये हव ते? एक झन कहिच --कुछु नहीं तोला बलाये ल आये हन। संग म जाही कहिके। हमर मुहल्ला म  चार पाँच दिन होगे हे एक झन आन देश के मनखे आये हे अउ किराया लेके राहत हे। ओला इहाँ ले भगाना हे।अइसने मन धीरे धीरे चोरी चकारी, गुंडा गर्दी करथें अउ माहौल ल खराब करथें। मैं मने मन कहेंव--गुंडा गर्दी अउ झगरा लड़ाई करके इही मन माहौल खराब करथें अउ बड़ सिधवा सहीं गोठियावत हें। फेर मुँह म नइ कहि सकेंव। बात ल आगू बढ़ावत पूछेंव --वो कोन ए, काय करथे ? इंग्लैंड ,चीन, अमेरिका ,पाकिस्तान या कोन आन देश ले आये हे? ओमा के एक झन थोकुन गुसियावत कहिच-- तहूँ टेंचरही गोठियाथच जी। ओहा अमेरिका ,चीन ले नइ बिहार ले आये हे। बिहारी लाल नाम हे।संग म तीन झन बच्चा अउ ओकर महिला हे।टिगड्डा म गुपचुप के ठेला लगाथे। हमला ओला इहाँ नइ राहन देना हे। संग म जाबे धन नहीं तेला बता ?
मैं कहेंव भाई हो काबर नइ जाहूँ ग। फेर थोकुन सोंचव--ओहा कोनो आन देश के नोहय ।हमरे भारत महतारी के बेटा ए। भले बिहार म पैदा होये हे। हमर देश के कानून के अनुसार कोनो भी कहूँ जाके अपन जिनगी ल मेहनत मजदूरी करके जी सकथे। तभे तो हम छत्तीसगढ़िया मन घलो दिल्ली ,बाम्बे ,कलकत्ता ,कश्मीर अउ नइ जाने कहाँ कहाँ जाके मेहनत ,मजदूरी ,नौकरी चाकरी करथन। ओमन हमन ल अइसने भगाही त बतावव का होही? एक झन के दुखती रग म हाथ रखत कहेंव--कइसे ग मोहन, तोरो भइया ह चार साल होगे पुणे म कमावत खावत ।ओला के पइत उहाँ के मनखे मन बाहिरि अच कहिके भगाये हे? अतका ल सुनके सब झन मूँड़ ल खजवाये ल धरलिन।मोहन के मुँह सिलागे। सबो कोई खुसुर फुसुर गोठियाके एक सुर म कहिन --ले त तैं काहत हच त ओला अभी राहन देथन। फेर कुछु गड़बड़ी करही त तोर जिम्मेदारी रइही। मैं कहेंव मोरे भर काबर सबो के जिम्मेदारी रइही। गड़बड़ी करही ,गुंडा गर्दी करही त थाना जाके शिकायत करबोअउ ओला इहाँ ले बाहिर कर देबो।
अतका म लाल चाय बनके आगे।चाय पीइन तहाँ ले गोड़ हाथ पटकत चल दिन।
          ओ बेचारा बिहारी लाल अच्छा आदमी रहिसे। अपन काम ले काम रखय।सब संग हिलमिल के राहय। उनला चारे महीना होये रहिसे राहत । कोरोना के सेती पूरा देश म लाकडाउन लगगे ।काम बूता , दुकान पानी ,आना जाना टोटल बंद होगे। लाकडाउन लगे उही पन्द्रा, बीस दिन होये रहिच होही ।एक दिन बिहारी लाल आइच अउ हाथ जोर के कहिच--भैया जी बहुत तकलीफ हे। मोर ठेला ल ले लेते या कोनो ल लेये ल कहि देते। मैं पूछेंव--का होगे बिहारी लाल?
का बताववँ भइया ।जेब में फूटी कउड़ी अउ घर मे एक दाना नइये। बच्चा मन दू दिन ले भूँखन मरत हें।अइसे कहिके ओहा मोर गोड़ ल धरलिच।सुनके मोर आँसू टपकगे । ओला धीर धराके बइठारेवँ अउ कहेंव--तैं चिंता मत कर भगवान सब ठीक करही। नोनी के दाई ल  बलाके सबले पहिली ओकर घर चाउँर दार भेजवायेंव ।थोकुन पाछू बिहारी लाल ल कहेंव --ले अभी तैं घर जा ।चिंता झन कर, मैँ साँझ के तोर घर आहूँ। ओ चल दिच तहाँ ले मैं ह उही चार झन ल खोजे ल चल देंव जेन मन एक दिन बिहारी लाल ल निकाले बर आये रहिन हें। एक झन सियान के मुँह ले सुने रहेंव--जेन मन ल हम बदमाश समझथन ,कभू कभू ओ मन बहुत अच्छा अच्छा काम ल करके देखा देथें। फेर छत्तीसगढ़िया आदमी कतको पथरा रइही, जल्दी पिघल जथे।
ओमन चौंक म बइठे मिलगे। सरी बात ल बतावत कहेंव--ओ बिहारी के लइका मन भूख मरत हें। अलहन हो जही। कुछु दया करव। ओमन कहिच--फिकर मत कर भइया, हमन सब व्यवस्था कर देबो। चल हमर संग। देखते देखत चंदा म बहुत कस दार चाउँर,नून तेल, साग भाजी अउ तीन हजार रुपिया सकलागे। सब ल सकेल के उही मन बिहारी लाल  करा दे बर गेइन। ओ बेचारा ह झोंकत नइ रहिसे। लटपट म समान मन ल रखिच।
               समे बीते ल धरलिच । अभी कुछ दिन पहिली सरकार ह रेल अउ बस म प्रवासी मन ल ऊँकर पैदायसी गाँव म भेजे के व्यवस्था करे हे। बिहारी लाल ह घलो जात हे। मुहल्ला के मन सकलाय हन। कोनो ओकर लइका मन ल रस्ता बर रोटी पीठा देवत हे त कोनो पइसा धरावत हे। बिहारी लाल सब ला जय जोहार करत हे। ओकर आँखी छलछलाये हे। मंगलू अउ ओकर साथी मन बस म समान ल चढ़ावत हें। एक झन ह बिहारी लाल के मोबाइल ल रिचार्ज करवा के लाये हे। बिहारी लाल ह अपन ठेला ल एक झन गरीब ल दान कर दे हाबय।
   पाँच दिन पाछू फोन करेन त पता चलिच वो ह हली भली अपन गाँव घर पहुँचगे हावय।
इही असली इंसानियत ए। मनखे के हिरदे म बइठे भगवान जागय अउ सबके भला करय।

चोवा राम 'बादल '
हथबन्द, छत्तीसगढ़

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर गुरुदेव जी

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  2. बहुत सुंदर रचना गुरुदेव

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  3. शानदार गुरुजी

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