Friday 10 July 2020

अंधविसवास-महेंद्र देवांगन

अंधविसवास-महेंद्र देवांगन
( नान्हे कहानी)

असाढ के महिना में घनघोर बादर छाय रिहिसे। ठंडा ठंडा हवा घलो चलत रहय । अइसने मौसम में लइका मन ल खेले में अब्बड़ मजा आथे।
संझा के बेरा मैदान में सोनू, सुनील, संतोष, सरवन, देव,ललित अमन सबो संगवारी मन पुक (गेंद)  खेलत रिहिसे। खेलत खेलत पुक ह जोर से फेंका जथे अऊ गडढा डाहर चल देथे ।
सोनू ह भागत भागत जाथे अऊ गडढा में उतर जथे ।ओ गडढा में एक ठन बड़े जान साँप रिहिसे  अऊ सोनू ल चाब देथे । सोनू ह जोर जोर से अब्बड़ रोथे अऊ रोवत रोवत बेहोस हो जथे ।
सबो संगवारी मन हड़बड़ा जथे अऊ एक दूसर के मुँहू ल देखत रहिथे।
सुनील ह कहिथे  ----- चलो एला सब झन उठाके घर ले जाथन । त संतोष ह कहिथे ----- नही पहिली एकर बाबू ल बलाथन ।
देव कहिथे ----- हाँ पहिली एकर घर के मन ल बलाथन ।
सरवन कहिथे ----- मेंहा जल्दी से एकर बाबू ल  बलाके लानत हँव । अइसे बोलथे अऊ दउड़त दउड़त जाके ओकर बाबू ल बलाके लानथे ।
ओकर बाबू ह सोनू ल उठाके घर लेगीस ।
गाँव भर में हल्ला होगे के सोनू ल साँप चाब दीस।
सब आदमी ओकर घर में सकलाय ल धर लीस ।
एक झन सियान ह बताइस के बोरसी गाँव  के चेंदवा बइगा ह सांप काटे के पक्का ईलाज जानथे । उही ल बलाके लानों तभे एहा बाँच सकत हे। । नहीं ते एकर बाँचना मुसकिल हे।
सोनू के ददा काय करे लकर धकर दू झन मनखे ल भेजीस ।ओमन ह बइगा ल धरके लानीस ।

बइगा ह अपन चार झन चेला चपाटी ल धरके आय राहय । सब झन आदमी ल भगाके एक ठन कुरिया में अपन मंतर तंतर ल सुरु करीस। जोर जोर से मंतर पढ़े अऊ फूंके ऊपर फूंके फेर सोनू ल होस आते नइ रिहिसे। एती घर के मन ल रोवई होय राहे के हमर सोनू बेटा के का होही ।

थोकिन बाद में बइगा ह कुरिया ले निकल के आइस अऊ बोलथे के एहा अइसने वइसने साँप नोहे। एला कसराहा करे गेहे। जादू मंतर से भेजे वाला साँप ह एला चाबे हे। अगर एला बचाना चाहत हो ते तुरते दू ठन खैरा कूकरा , दू ठन मऊहा के बोतल अऊ एक्काइस ठन लिमऊ के बेवस्था करो। नहीं ते राम नाम सत्त हे।

सोनू के ददा बइगा के पाँव ल धर लीस । ते कइसनो करके मोर बेटा ल बचा ले बइगा महराज । मेंहा अभी सब चीज के बेवस्था करत हौं। अइसे कहिके एक झन आदमी ल पठोवत रिहिसे । ओतके बेरा में रमेश गुरुजी ह आइस अऊ सोनू के ददा ल बोलथे ---- ते का ए बइगा गुनिया के चक्कर में परे हस।देखत नइ हस सोनू के का हाल होगे हे। चल तुरते एला अस्पताल लेग। जादा देरी करबे ते ये हाथ नइ आही ।
त दू चार आदमी अऊ बोलथे के गुरुजी ह सहीं काहत हे , एला तुरते अस्पताल लेगो अऊ एकर परान ल बचाव। अंधविसवास के चक्कर में झन परौ ।

तब तुरते ओला अस्पताल लेगीस। डाक्टर ह सूजी पानी लगाइस तब कुछ देर बाद में सोनू ल होस आइस।
डाक्टर साहब बोलीस के थोकिन अऊ देरी होय रहितीस ते एकर बाँचना मुसकिल रिहिसे ।

सोनू के ददा ह रमेश गुरुजी ल बहुत बहुत धन्यवाद दीस अऊ कहिथे --  आप सहीं समय में आके मोर लइका ल बचालेव गुरुजी । मेंहा तोर एहसान ल कभू नइ भुलावँव अऊ कसम खावत हौं के आज के बाद बइगा गुनिया के चक्कर में कभू नइ परँव। अंधविसवास ल कभू नइ मानौं ।

लेख
*महेन्द्र देवांगन माटी*
*पंडरिया छत्तीसगढ़*

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