Friday 24 July 2020

तीजा पोरा के पीड़ा*

*तीजा पोरा के पीड़ा*

       आज आठे ला मनाय चार दिन होगे हावय देख तीजा लिहैया मन के अवई जवई चलत हावय। तिजहारिन दीदी बहनी मन आत जात हावय। मोटर बस के भीड़ के ठिकाना नई हावय भर भर आवत जावत हावय। तीजा पोरा के तिहार हमर छत्तीसगढ़ के बड़का तिहार आय। इहि तिहार में गाँव भरके बेटी माई एक जगह सकलाथे। अपन अपन दुःख सुख ला मिलके गोठियाथे। धन्य हवै हमर गाँव धन्य हवन हमन तीजा पोरा के तिहार मा गाँव भरके बेटी माई सकलाही। जय हो मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर महिमा अपरम्पार हावय।

       फुलमतिया अपन नोनी के मुड़ी ला कोरत बइठे हावय। नोनी दाई ला कहत हवय जल्दी मुड़ ला कोर न  दाई स्कूल जाय बर देरी होत हावय, मोर सहेली मन गोरत होही। नोनी सात बछर के होगे हावय अउ दूसरी  कक्षा मा पढ़त हावय। नोनी बड़ चंचल स्वभाव के हावय।अपन संगवारी धनिया संग मुड़ ला कोरा के स्कूल जावत हावय। स्कूल मा जाथे त पता चलथे की ओकर एकझन संगवारी महेश्वरी हा ममा गाँव चल दे हावय। धनिया से नोनी पूछत हावय कस संगी ममा गाँव काय होथे जी अउ मोर घर तो एको साल मोर ममा नाव के कोनो नई आवय। धनिया हाँसत हाँसत बतावत हावय ममा गाँव माने दाई के ममा गाँव जिहाँ ममा मामी, ममादाई बाबू, मौसी अउ भाई बहनी रथे। नोनी झट से अरे वाह मजा आत होही न, धनिया हव बहनी ममा गाँव जाबे त कोनो मारे न पिटे चारो मुड़ा ले मया दुलार मिलथे। रंग रंग के खाय ला अउ पहिरे ला मिलथे। नोनी धनिया के बात ला सुनके ओकर मन में ममा गाँव के लालसा जाग जथे। स्कूल के छुट्टी होगय नोनी घर आके संगवारी मन संग खेलइ के धुन मा हावय। थोरक सँझवति बेरा धनिया ला ओकर दाई बुलाथत हावय चल बेटी तोर ममा गाँव जाबो। ये गोठ ला सुनके नोनी ला तको अपन ममा गाँव के सुध लग जथे अउ अपन घर डहर जावत मन मा सोचत हावय सबके ममा बबा मन लेगे ला आवत हावय मोर ममा, बबा मन काबर हमन ला लेगे ला नई आवय। नोनी घर में आके अपन दाई ला पूछत हावय दाई हमर ममा मन एको साल काबर नई आवय तीजा मा लेगे बर। सबके ममा मन अपन दीदी बहनी के संग मा भांची भाचा ला लेगे आथे। एतका बात ला सुनके नोनी के दाई के आँखी ले आँसू तरतर तरत बोहाय ला धरलिस ओकर आँखी मा दाई बाबू, भाई बहनी, संगी संगवारी के चेहरा झुले ल लागिस। ओकर जवानी के घांव हा ताजा फेर ताजा होंगे हावय। चुपकन आँसू ला दबाके मन मा ढाढ़स बाँधत नोनी ला कहिथे कइसे करबो बेटी तोर ममा मन लेगे ल नई आवय त, बरपेली कइसे चल देबो। नोनी कहत हावय हमर जम्मो संगवारी मन ममा गाँव जावत हावय अउ महूँ ला ममा गाँव देखे के सउख लागत हावय दाई। ममा गाँव मा मोर ममा दाई, बबा, ममा-मामी अउ उकर लइका मोर भाई बहनी होही न दाई। फुलमतिया बेटी के बात ला सुनके सिसक परथे अउ ओकर आँखी ले आँसू धर धर धर बोहाय धर लेथे। नोनी अपन महतारी ला कहत हावय देखले हमर महतारी ला मइके के नाव लेतव ही मया हा पलपलावत हावय अउ सुरता मा रोवत हावय। महतारी ला देख नोनी तको रोय ला धर लेथे अउ कथे का होगे दाई हमर ममा मन ला मया नई लागय का ओ। महतारी हा बेटी ला पोटार बोम फाड़के रो डरथे। ओतके बेरा नोनी के ददा चैतू आ जथे अउ कहिथे तुमन काबर रोवत हव मोर रहत ले तुमन ला का के चिंता हावय कुछ कमी हावय त बताव दूनो झन के आँसू ला पोछत अउ चुप करावत हे।  चैतू समझ जाथे तीजा पोरा आवत हावय त दाई बाबू दीदी बहनी भाई मन के सुरता में रोवत हावय कहिके। नोनी रोवत रोवत सुत जाथे चैतू कहिथे फुलमितया में जान डरेव तोर दरद ला ओ 8 बछर होगे हमन ला अपन गाँव से अलग करे। भगवान के दया से येदे रइपुर शहर में जियत खात हन बढ़िया से नौकरी करके। फेर अपन जनम भुइँया अउ महतारी के सुरता नई भुला पावत हन, हा सही कहत हव जी ओतेक दिन ले अपन मन ला मारके रहत रहेंव फेर आज नोनी ममा गाँव जाय बर कहत रहिस हावय त अपन आप ला नई रोक पायेंव।  तीजा पोरा के तिहार बेटी मन बर बड़का तिहार आये कौन बेटी अपन दाई ददा के घर ये तिहार मा जाये बर छोड़  होही। बारह महिना के ये तिहार मा गाँव के जम्मो संगी संगवारी, गाँव भर के बेटी माई सकलाही अउ अपन सुख दुःख ला गोठीयाही। जेन किस्मत के अभागा रही तेने हर ये तिहार मा मइके नई जात होही या नई जाही।  फुलमितया खाना खाय बर चैतू ला देवत हावय फेर चैतू ला अपन गाँव के सुरता आ जथे अपन दाई ददा भाई बहनी के चेहरा मा झूलत रहिथे अउ भात के कौरा मुँह में जाबे नई करय चैतू भात ला छोड़ उठके रेंग देथे। फुलमतिया तको बिन खाय सो जथे। फुलमितया चैतू ला कहिथे हमर करम के भोगना आज हमर लइका भोगत हवे बपरी ककरो का बिगाड़े हावय ओकर का दोष हावय। बस एतके न की ओहर हमर लइका बनके आये हावय अउ बपरी इहि गलती कर परे हावय। चैतू फुलमतिया ला कहिथे हमर लइका के ये सउख हमन पूरा नई कर सकन ओला कोन समझाही की हमन अपन समाज अपन गाँव ले बाहिर हन। चैतू मन ला मार दसना ले उठके गली डहर चल देथे ओकर मनके दरद ओला सहन नई होय अउ रो परथे। फुलमिया के मन मा आज कई ठन सवाल उठत हावय अपन आप ला कोसत हावय मँय बहुत बड़े गलती कर परेव मोला भाग के दूसर जात मेर बिहाव नई करना रहिस हावय। मोला अपन दाई ददा के मान मर्यादा रखना रहिस हावय। मोर दाई बाबू उपर का बीतिस होही कइसे 7 बछर उकर कटिस होही। फेर  फुलमतिया मन के पीड़ा ला उधेड़त कहिथे फेर मोर गलती का रहिस हावय मँय तो अपन साथ में पढ़े लिखे लड़का मेर बिहाव करे हव। महूँ हा पढ़ै लिखे अउ महूँ ला समझ हावय। फेर कहिथे वाह रे मोर समाज अपन दाई ददा अउ मया जार ले तँय दूर कर दे। तोला थोरको दया नई आइस हावय। फेर नोनी ला देख कथे मँय अपन बेटी ला का बताहू, कइसे ओला समझाहू तोर ममा घर नई जा सकन कहिके। नोनी बाड़ जाही त  मोर बारे में का सोचही आज फुलमितया ला अपन गलती के पछतावा होत हावय ओकर जी हा आज कचोटत हावय। अपन समाज मेर चीख चीख के पूछत हावय मोर गलती के सजा मोर बेटी ला काबर मिलत हावय। बपरी ममा गाँव जाहू कहत हे तीजा पोरा मनाय ओला कोन लेगही। फेर हर बछर के तीजा पोरा मा ये घांव हा हरियावत रही संग में मोर बेटी ला पीड़ा देवत रही। फेर कहिथे धन्य हे नियाव करने वाला भगवान अउ धन्य हे हमर समाज जेन अइसन नियम बनाय हावय। सबला सोये सोये ला हर गुनत हावय।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

4 comments:

  1. सुग्घर आलेख साहू जी

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    1. निषाद राज जी आपला सादर धन्यवाद जय जोहर भैया जी

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  2. Replies
    1. सादर धन्यवाद जय जोहर ज्ञानु भैया जी

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