Tuesday 28 July 2020

छत्तीसगढ़ी फिल्म अउ साहित्य*

*छत्तीसगढ़ी फिल्म अउ साहित्य* 

हम तो अभी के लइका आन , हमला तो इहु पता नइ रहिस की हमर छत्तीसगढ़ी के पहिली फिल्म "कहि देबे संदेश" रहिस । अउ दूसरैया फिल्म "घर दुवार" जउन मन मा हमर छत्तीसगढ़ के पुरखा कवि अउ प्रख्यात साहित्यकार मन के रचे गीत मन हर शामिल रहिन । जउन मन ला हमन आज ले घलव सुनथन अउ जानथन , साठ के दशक मा बने हमर छत्तीसगढ़ी फिल्म मन के बारे मा चर्चा आज के समय मा अइसन कोनो जानकार मन हर नइ करत रहिस अउ ना काही बतावत रहिस । तेपाय के हमर छत्तीसगढ़ ओतका सुग्घर समय जउन ला हम ओ समे के "स्वर्णकाल" कहि सकथन , जउन मा हमर छत्तीसगढ़ के सुग्घर अउ गौरवशाली इतिहास हर लुकाय हावय । 

आज कहूँ अइसन विमर्श के विषय बना के ये सब गोठ बात मन ला नइ रखे जातिस ता , शायद आज हमन ला अउ हमर जइसन कतको अउ साहित्यकार हावय जउन मन ला अइसन सुग्घर जानकारी संग इन सब के बारे मा जाने बर नइ मिलतीच । हम तो साहित्य के छोटकुन साधक अन जउन आज आप सबो के मार्गदर्शन मा सिखत हन अउ टूटे - फूटे थोड़ बहुत लिखन हन । हमर अपन जानकारी मा हम नब्बे के दशक मा जब छत्तीसगढ़ राज बने के बाद जउन छत्तीसगढ़ी फिल्म बनिस "मोर छइँहा भुइँया" मेर ले छत्तीसगढ़ी फिल्म ला जाने हन । ओ समे हम भले साहित्य का होथे ओला नइ जानत रहेन अउ ना समझत रहेन , फेर ओ समे ओ जउन फिल्म रहिस हे ओहर पूरा गाँव देहात के परिवेश मा बने रहिस , अउ जेखर गीत हर सिरतोन मा पूरा देखइया मनखे मन ला झकझोर के रख देवत रहिस हे । तेपाय के ओ फिल्म के एक ठन गीत "छइंहा भुइँया ला छोड़ जवइया , तँय थिराबे कहाँ रे" गीत हर लइका ले लेके सियान मन के अन्तस् मा आज ले घलव रच बसगे हवै , अउ सबो दिन अइसने  रही । आज ये जान के बड़ सुग्घर लगथे की हमर माटी महतारी के संगे संग हमर छत्तीसगढ़ी अस्मिता अउ धरोहर के जउन गीत हे उनकर मन के गीतकार हमर छत्तीसगढ़ के हमर पुरखा जनकवि अउ साहित्यकार मन हर रहिन हे , जिंकर मन के सुग्घर गीत मन ला हमन आज ले घलव जानथन सुनथन ।

आज के समय मा हमर मन के बीच मा कतकोन फिल्म बनके आय हे , अउ बनत हावय । जउन फिल्म मन मा ना तो पहिली के फिल्म मन के जइसन ओखर पटकथा संवाद मन हर राहय अउ ना ओइसन परिवेश मन हर राहय , अउ ना पहिली जइसन ओ गीत मन हर राहय जउन लोगन मन के अन्तस् ला छु दय । अइसे बात नइ हे की आज बने गीत नइ लिखे जावत हे , आज घलव बने गीत लिखे जावत हे , फेर हमर पहिली के गीत मन असन मनभाव गीत जादा नइ लिखे जावत हे । पहिली के गीत मन मा जउन गाँव गली संग खेती खार अउ मया पिरित के गोठ बात के संग सुग्घर साहित्य के जउन सालीनता सादगी रहिस हे । ओहर आज के फिल्म मन मा हमन ला देखे बर नइ मिलय , आज के जउन फिल्म हे अउ उनकर मन के जउन गीत हे , ओमन केवल आज के हमर जउन दर्शक हे उनकर मन के मनोरंजन खातिर बनथे । ओ मन मा ना तो हमला कोनो संदेश दिखय , अउ ना हमर छत्तीसगढ़ के कोनो धरोहर अउ अस्मिता मन हर दिखय ।  तेखर ऊपर तो आगी कस लगे आज कल के गीत मन हर हावय , जउन मन सब फूहड़ता के सबो हद मन ला पार कर देवत हे , अउ ओइसने हे आज कल के फूहड़ता ले भरे ओ फिल्म मन के किसम किसम के नाम मन हर हे । 

जिंकर मन के ना तो हमर छत्तीसगढ़ के माटी अउ हमर इहाँ के कोनो संस्कृति मन ले दुरिहा दुरिहा तक कोनो नता राहय , अइसन तो आज कल के हमर फिल्म अउ उनकर मन के गीत मन हर हे । जउन मन मा साहित्य अउ सालीनता सादगी नाम के कोनो जिनिस नइ दिखय । आज कल के फिल्म मन के उद्धेश्य केवल लोगन मन के मनोरंजन करना बस रहिगे हे , अउ आज एँखरे चलती मा मँय कहिथव ता आज हमर छत्तीसगढ़ के जउन फिल्म हे ओमन हर , दूसर परदेश मन के तुलना मा पछुवाय हवय । ये आज कल के हमर फिल्म निर्माता मन हर कतकोन फिल्म बना लेवँय , अउ कतको गीत मन ला उतार दय , फेर हमर पुरखा मन के जउन साहित्य ले भरे हमर छत्तीसगढ़ के माटी अउ महतारी के संग हमर   संस्कृति माटी अउ अस्मिता मन ले जुड़े फिल्म अउ गीत मन के बराबरी कभू नइ कर सकय अउ ना कभू हमर पहिली के कलाकार मन के कला गीत अउ ओइसन फिल्म मन के जगा ले सकय । ।

 (येमन मोर अपन निजी विचार ये जरूरी नइये आपमन सहमत होहव , कोनो भी किसम के गलती खातिर हम क्षमाप्रार्थी हन)

              मयारू मोहन कुमार निषाद 
               गाँव - लमती , भाटापारा , 
             जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)
         छंद साधक सदस्य सत्र कक्षा - 4

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