Friday 17 July 2020

दुलार के दवा-चोवा राम वर्मा बादल

दुलार के दवा-चोवा राम वर्मा बादल

            -----------------(कहानी)
 सिंग दरवाजा के बाहिर गली म, मुँहाटी तीर चउँक पूरे, रंगोली पारे अउ रिगबिग- रिगबिग चउदा ठन दिया बारे अनिता ह अपन आठ साल के हंडा बेटा अजय अउ छै साल के मयारू बेटी गुड़िया संग हाँसत-कुलकत रमेश ल अगोरत हे। वोहा  अभिच्चे पन्दरा मिनट पहिली फोन करे रहिसे। रायपुर ले नवा हीरो होंडा मोटर साइकिल लेके, काँछन म अपन बीस बरस जुन्नटहा फटफटी ल बरो के घर आवत हे।
       नवा गाड़ी के उरथी नवरात्रि बखत माढ़े रहिसे फेर घर म सियनहा के कहे ले जग जवारा बोंवागे। तेकर सेती अब नवा साल के शुभ परघनी बेरा म तीस हजार जेब ले पुरो के, रमेश ह नवा गाड़ी बिसाये हे।
   चपरासी के छोटकुन नौकरी, तभो ले वोकर हाथ बारों महीना गद कच्चा रहिथे। ककरो करा हाथ लमाये ल नइ परय। काबर कि ओहा मंद-मउँहा ल कोन काहय ,पान गुटका तक ल नइ जानय।सियान मन सहीं कहे हें- मेड़-पार के छेदा बेदा मुँदाथे ,नाखा-मुँही  बँधाथे तभे खेत म पानी माढ़थे। ओइसने मनखे के जिनगी म बुराई नइ राहय तभे लक्ष्मीदाई ह बने जमके रमियाथे।
          घर पहुँचत ले  रमेश ल रात के आठ बजगे। जइसने पहुंचिच अउ पी- पी बजइच, दूनों लइका नाचत-कूदत चिल्लाये ल धरलिन-- बाबू आगे, बाबू आगे ।हमर नवा फटफटी आगे , हमर नवा फटफटी आगे।अनिता ह आरती के थारी ल धरे मुँहाटी ले काहत निकलिच - लेवव अब जादा झन चिल्लावव । मोर संग आवव अउ तुँहर बाबू अउ नवा फटफटी के आरती करव। आरती के करत ले  पारा परोस के लईका, सियान मन घलो सकलागें। रमेश ह गाड़ी ल भीतिरियाइच अउ जम्मों कोई ल पेड़ा बाँट के  मुँह मीठा कराइच। तहाँ ले  जेवन जेंके ,खुशी-खुशी गोठियावत बतावत सब सुतगें।
       बिहान जुवर नहा धोके, पहिन-ओढ़ के, ड्यूटी जाए बर रमेश ह जइसने गाड़ी ल निकालत रइथे, तइसने बेरा ठक ले अजय ह आके अपन बाबू ल पोटारत कहिथे- बाबू चल न मोला थोकुन घुमा के लादे। रमेश ओला बईठा के बजार चउँक ले घुमा के दुवारी म उतार दिच। ओतका ल गुड़िया ह देखत राहय। दउँड़त आइच अउ  हमूँ घूमू जाबो, हमूँ घूमू जाबो काहत ,गोड़ ल पटकत चिल्लाये ल धरलिच।  रमेश ह कहिच -देख बेटी मोला ड्यूटी जाये म लेट होवत हे। आहूँ तहाँ ले  घुमा देहूँ। फेर गुड़िया ह कहाँ मानने वाला  हे। रोमहियावत कहिच-- भइया ल कइसे घुमा के लाये हच?  हम नइ मानन। हमूँ ह घुमबो। रमेश ह गुसिया के कहिच--चल हट। अबड़ेच जिद्धिन होगे हच। थोरको बात नइ मानच। अनिता ल बालावत कहिच - लेग एला, देखत नइ अच । मोला देरी होवत हे, साहब ह खिसियाही।     
        अनिता ह आइच अउ गुड़िया के हाथ ल धरके इंचत घर भीतर लेगे।गुड़िया ह घोलंड - घोलंड के बोमफार के रोये ल धरलिच। अनिता ह मनावत ले मनइच, तहाँ ले रोवत राह , मर जा कहिके अपन बुता काम म भुलागे। ओला का पता गुड़िया के हिरदे ल कतका धक्का लगे हे।
     मैं सोचथंव-हिरदे तो सबके एके बरोबर होवत होही।ओमा लइका लागय न सियान। पीरा तो सबो ल जियानत होही।अतका जरूर हे-कभू-कभू  केंवची हिरदे म परे तीर भीतरी म गहिरा समा जथे।
     गुड़िया के रोवत-रोवत आँखी ओसवागे। अनिता ह भुलवार- भुलवार के हारगे।खाये बर मना-मना के हारगे फेर नोनी ह मुँह म एक दाना नइ लेगिच।
       छै बजे जइसने रमेश ह घर आइच। अनिता ह रोंवासी होवत बताइच --गुड़िया के देंह ह बुखार म लकलकावत हे। दिन भर खाये नइये। रोत्ते हावय। ओला एक कनी घुमाके ला दे रहिते त का हो जतिच।ओला तुरते डॉक्टर करा लेग। सुनके रमेश के करेजा काँपगे।मोर मयारू बेटी  कहाँ हे काहत गिच अउ भुइयाँ म घोंडे गुड़िया ल छाती ले लगा लिच।आँसू के धार बोहागे। मोर मयारू बेटी काहत रमेश ह ओकर गाल ल बइहा भुतहा कस चूमे ल धरलिच। गुड़िया ह आँसू ल पोंछत कहिच- चल न बाबू घुमा के लाबे। रमेश ह ओला तुरते घुमाये ल लेगे।
  दुलार के दवा पाके गुड़िया के बुखार घलो बिना सूजी-पानी के उतरगे।

चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़

8 comments:

  1. बहुत ही सुग्गर कहानी गुरुजी

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  2. बहुत सुंदर कहानी हे गुरुदेव

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  3. सुग्घर कहानी गुरुदेव जी

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  4. सुग्घर मार्मिक कहानी बड़े भइया जी

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  5. हार्दिक आभार भाई।

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  6. बहुते बढ़िया कहानी भैया...
    सादर...🌹🌹🌹🙏🙏

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