Friday 3 July 2020

कहिनी - मोबाइल के नुकसानी - विरेन्द्र कुमार साहू

कहिनी - मोबाइल के नुकसानी - विरेन्द्र कुमार साहू

केशव गुरुजी के एकलउता टूरा रवि कक्षा आठवीं तक बने हुशियार रीहिस। महतारी केंवरा पढ़े लिखे गुन्निक होय के बाद घलो सरकारी नउकरी नइ करय। घर के बूता ले उबर के अपन लइका ला पढ़ावय। लइका के चयन कक्षा नवमी पढ़े बर नवोदय विद्यालय मा हो गे। केशव गरियाबंद ले दस किलोमीटर दुरिहा के गांव हरदी ला छोड़ के गरियाबंद मा अपन मकान बना ले रहय, ता ओला लइका ला कइसे स्कूल भेंजहूँ कहिके चिंता नइ राहय। रवि ला नवोदय मा भर्ती करे के बाद केशव अउ केंवरा जिनखर मन तीर एंड्रॉयड मोबाइल हवय खुशी-खुशी अपन लइका रवि बर घलो एकठन एक्कीस हजार वाले एंड्रॉयड मोबाइल लेके देइन। रवि नवा मोबाइल पाके खुश होगे, आनी-बानी आनलाइन खेल झींक के अब अपन चार-पांच घंटा के समय ला खाली मोबाइल मा बितावय पुस्तक कापी डाहर हीरक के नइ देखय। स्कूल ले मिले बूता ला पूरा नइ करे के पाछू रोज्जे डाँट फटकार परय। केशव घलो हा अपन स्कूल ले लहुटे के बाद चाहा पीके संगी साथी मन संग घुमेबर चल देवय, घर मा रहय ता मोबाइल ला कोचकत बइठे रहय। केंवरा घलो टीकटाक अउ हलो मा विडियों बनाय के धुन मा रहय। ये मोबाइल के चक्कर मा दाई, बाप अउ बेटा तीनों झन भयरा बरोबर हो गे रहँय। कोनों काँखरो ला नइ सुनय। कइसे पूरा साल निकल गे पता नइ चलिस। रवि आज अपन स्कूल मा ददा केशव संग रिजल्ट देखे बर जावत हे फेर खुश नइ दिखत हे। केशव अउ रवि एके सँघरा खड़े होके रिजल्ट चटके हे तेला देखत हे। केशव हा प्रवीण्य सूची डाहर ला देखत हे रवि कम नंबर मा ही सही पास तो हो जातेंव कहिके बिनती बिनोत खाल्हे डाहर देखत हे फेर रोल नंबर दिखत नइहे। ओतकी बेरा रवि के कक्षा शिक्षक अमृत हा आके कहिथे रवि थोरकिन मेहनत करे रहे ले पास हो जातेस जी...। अतके बात ला सुन के बाप बेटा के मुहु उतर गे, सुनगुन सुनगुन घर पहुँचिन। घर मा केंवरा बगबग ले मुहु कान ला सजा के टीकटाक बनात रहय। केशव के एक आवाज मा तो सकरी ला खोलिस नहीं, दुबारा चिल्लाइस ता लटपट दरवाजा खोलिस। दाई बेटा दुनो झन ला केशव जमदरहा फटकार लगाय ला धरलिस। झगरा झंझट चलत रहिस के ओतनी बेरा केशव के ददा रामलाल गरियाबंद मा काम रहिस ते नाती ला देखे के बहाना पहुँच गे। ददा ला देख के केशव अउ केंवरा सकपकाइन, फेर सियान हा इनकर गोठ ला सुन के समझ गे रहय के इहाँ बिरबिंद माँचे हे।   रामलाल कहिस बेंदरा के हाथ मा तलवार जीव के काल होथे वइसने तुमन कर डारे हौ, अपन अक्कल ला दोष देवव कते उमर मा का फभथे तेला सोंचव। केशव अपन बाई केंवरा ला कहिस ददा बर नाश्ता बना दे अउ तुँहर मोबाइल मन ला मोला देव किहिस अउ रवि अउ केंवरा के मोबाइल ला धर के बेंचे बर चलदिस। जतेक भी पइसा मिलिस लान के अपन बाप ला देत कहिस मँय शहर आय के बाद अपन डउकी लइका के मोहो मा तुमन ला कुछु नइ देत रहेंव फेर इनकर मन बर सुविधा के जिनीस मोर बर काल होवत हे, मोर लइका अवइया साल मा बने नंबर ले पास होवय अइसन आशीर्वाद देवव बाबू जी! अउ ये पइसा ला रखव अपन तबियत पानी बर खर्चा करिहौ। रामलाल हाथ ला उचाके खुश रहव अउ बने सुमता ले रहव कहिस अउ अपन साइकिल ला धरके घर ले निकल गे।

कहानीकार - विरेन्द्र कुमार साहू , ग्राम -.बोड़राबाँधा, (राजिम)

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