Friday 17 July 2020

*नशा करत हे भारी नाश* मोहन निषाद

*नशा करत हे भारी नाश* मोहन निषाद

आज कल हम सबे झन जानत हावन , हमार समाज मा किसम किसम के लोगन मन हे । अउ आज हमर मन के बीच मा किसम किसम के , मादक नशापान के जिनिस मन हर घलव होंगे हावय । आज हम कोनो समाज के गोठ करिन चाहे , कोनो परिवार के गोठ करिन । आज कखरो घर परिवार हर , अइसन नशापान के जिनिस मन ले छूटे नइ हे । हम सबे जॉनथन की नशा के जिनिस जउन हे , तउन हर बने जिनिस नोहय कहिके । तभो ले हमन ओ जिनिस मन ला , बउरे ला नइ छोड़न । आज हमर मन के बीच मा : - गुटखा , सिगरेट , बीड़ी , माखुर , गुड़ाखू , दारू , गाँजा , अइसन कइ प्रकार के नशा के जिनिस मन हर हे । जउन मन ले आज कल के लोगन मन हर बाचे नइ हे , आज एको ठन अइसन घर अउ परिवार नइ हे ।  जउन घर मा कोन्हों प्रकार के नशापान के जिनिस मन ला ,  परिवार के कोन्हों सदस्य हर नइ बउरत होही । आज सबे घर परिवार मा एक ना एक झन सदस्य , अइसे होथे जउन हर येमा के कोन्हों ना कोन्हों नशा ला करत रहिथे । जेखर चलते घर मा अइसन माहुँल ला पाके , आज काल के नान्हे - नान्हे लइका मन हर घलो अइसन जिनिस मन ला धीरे - धीरे बऊरे ला सिखत जाथे । आज काल के जउन युवा पीढ़ी के लइका हावय , तउन मन हर बहुते हुशियार होंगे हावय । ओमन कोनो भी जिनिस ला जल्दी फट ले पकड़ लेथे , चाहे ओ बने जिनिस रहे , चाहे गलत जिनिस रहे । ओमन हर ओला जल्दी कुन सिख जथे । आज हमर समाज परिवार मा , ये नशा के जिनिस मन के असर (प्रभाव) हर अतेक बाढ़ गे हावय की , आज कल के लइका मन हर । अपन ददा दाई तो ददा दाई , अउ कोनो भी दूसर सियानन मन ला घलव नइ घेपय । पहिली हमरे सियान मन हर नशा के जिनिस मन ला , अपन ले बड़का मन ले लुका ले पीयत खात रहिन हे । फेर आज कल के माहुँल हर अइसन होंगे हावय , की आज लइका मन अपन ददा दाई के आघू मा घलव दारु पानी पीयत रहिथे । तव कभू - कभू अइसन घलव देखे मा आथे , की आज कल बाप बेटा दुनो झन घलव मिलके संघरा पीयत रहिथे । आज ये नशा अउ अइसन नशीला जिनिस मन के , चलागन अतेक बाढ़ गे हावय की ।  लोगन मन हर अपन घर परिवार लोग लइका सबो के , संसो करना छोड़ के अपन पीयइ - खवई मा मस्त रहिथे । तेखर ऊपर तो आज कल के नवजावन युवा पीढ़ी के ,  लइका मन के बारे मा अउ झन पुछव ।  उनकर मन बर तो आज कल के नशा मन ला करना मानो एक ठन फैसन के जिनिस होंगे हावय । रंग - रंग के गुटका , सिगरेट , दारू पानी मन ला पीना , ओमन हर आज अपन बर बड़ सुग्घर समझथे । मानो लोगन मन हर ओमन ला देख के सहरावत होही , चाय के संग सिगरेट फुँकना उनकर मन के , आज कल के बड़का फैसन आय अउ होंगे हावय । आप कहू कर के होटल मेर खड़ा होके देख लेहव , अइसन दू - चार झन मन आपला बज्जुर मिल जही । ये तो बड़े लइका मन के गोठ रहिस , ओइसने हे आज कल के नान - नान लइका मन हर घलो देखे मा आथे । जउन मन हर किसम - किसम के नशा मन ला करत रहिथे , गुटखा , बीड़ी , सिगरेट , पीना तो इनकर मन बर नानकुन बात ये । आज काल के नान नान लइका मन हर घलव दारू पानी ला पिये बर जल्दी सिख जावत हे । अउ कतकोन लइका मन हर तो सिलोचन जइसन जिनिस मन के घलव नशा करत रहिथे । जउन हर मनखे मन के तन ला भारी नुकसान पहुचाथे , अइसे नशा तो कोन्हों भी किसम के होवय नुकसान तो करबे करथे । आज अइसन नशा मन के चलते ही हमर समाज मा , कतकोन घर परिवार मन हर टुट जवत हे । ता उही कतकोन परिवार मन अइसन हावय जउन मन खाय पिये बर पानी पसिया बर घलव तरसत रहिथे । फेर नशा करइया मनखे मन ला का हावय , उन ला तो बस अपन नशा के जिनिस मन के बस खुराक होना चाही । भले घर परिवार लोग - लइका मन के कुछू हो जय , उनला उनकर कोनो संसो नइ राहय । आज हमर समाज मा नशा पानी के जिनिस मन के असर (प्रभाव)  हर दिनों - दिन अतेक बाढ़त जावत हावय , की आज कल काखरो घर परिवार मा कोनो भी किसम के छोटे - मोटे कार्यक्रम हर होथे ,  लोगन मन ला तो बस दारू पानी ही पिये - खाय बर सबले पहिली होना चाही ।  हम सबो जॉनथन की नशा पानी के जिनिस मन हर , कतका भारी नुकसान करथे । तभो ले हमन हर उनला बउरे बर नइ छोड़न , आज ये नशा पानी के चलते ही हमर समाज मा कतकोन घर परिवार मन हर टुट जावत हे ।  तभो ले आज काल के लोगन मन नइ समझय , अउ ओमन ला अइसन कोनो बात ले घलव फरक नइ पड़य । उन मन कोनो बात ला समझबे नइ करय , अउ मैं कहिथव ता अइसन चलत दउर मा ना कभू ओमन हर समझय ....... : -  *मैं तो बस अतके कहिथव ....................* 
                 *छोड़व दारू के नशा , नाश करै परिवार ।*
                *कतको झन जी रोय हे , बात हवय ये सार ।*
                *बात हवय ये , सार दारू ला , झन जी पीबे ।*
               *बात कहत हँव , मान संग मा , जिनगी जीबे ।*
            *रद्दा अइसन , धरके अब झन , घर ला तोड़व ।*
            *लावव घर मा , सुख शान्ति अब , दारू छोड़व ।।*
आज नशापान के जिनिस मन हर हमर समाज अउ घर परिवार ला भारी नुकसान पहुँचावत हावय । ये हर मनखे मन के अपन - अपन सोच समझ अउ विवेक के बात आय , की अइसन भारी नुकसानी ले भरे , नशा पानी मन हर हमर जिनगी के कतका नुकसान करथे । अउ हमन ला अइसन जिनिस मन ला बउरे ले खुद ला बचाना चाही , तभे हम अपन समाज ला साफ - सुथरा अउ स्वच्छ बना सकत हन । अउ लोगन मन ला घलव अइसन जिनिस मन ले बाच के रहे बर समझा सकत हन । आवव हम सब मिलके परन करिन , की अइसन जिनिस मन ले खुद बाचीन अउ दूसर मन ला घलव बचाके , एक ठन सुग्घर अउ स्वच्छ समाज के निर्माण करे मा अपन सहयोग प्रदान करिन ।

                  मोहन कुमार निषाद
               गाँव - लमती , भाटापारा ,
             छंद साधक सत्र कक्षा 4

No comments:

Post a Comment