Friday 31 July 2020

किरिया-चोवाराम वर्मा बादल

किरिया-चोवाराम वर्मा बादल

(कहानी)


आज के ग्राम सभा विशेष रूप ले शिक्षा व्यवस्था उपर चर्चा करे बर बलाये गे रिहिस।ग्राम पंचायत भवन मा पंच सरपंच अउ पालक मन खचाखच बइठे हें।प्रायमरी स्कूल से लेके हाई स्कूल तक के जम्मों गुरुजी मन ल घलो बलाये गे हे। विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी तको आय हें। सब आपस म गलबल गइया करत हें।कोनो लइका मन के चौपट पढ़ई लिखई बर गुरुजी मन ल दोष देवत हें ,त कोनो सरकारी व्यवस्था ल। गुरुजी मन के अपन अलग अलग तर्क हे।
    सरपंच ह हल्ला गुल्ला ल शांत करावत गुरुजी मन ल सम्बोधित करत कहिच--हमर गाँव के लइका मन के पढ़ई लिखई एकदम कमजोर हे।अनुशासन नाम के चीज नइये।जेती देखबे तेती लइका मन घूमत रहिथें। तूमन स्कूल म बइठे-बइठे का करथव समझ म नइ आवय। पाँचवी के लइका ल अपन नाम तक लिखे ल नइ आवय।हेड मास्टर शर्मा जी ,ले तैं बता अइसन स्थिति काबर हे? गाँव के पालक मन तोर अबड़े शिकायत करथें। तैं तो स्कूल आबेच नइ करच।
    शर्मा जी अतका ल सुनके तमतमाये खड़ा होगे अउ पछीना ल पोंछत-पोंछत कहिच--ए बात ल सरकार ल पूछव मैं ह स्कूल काबर कम आथवँ।मैं स्कूल नइ आववँ ,अइसे बात नइये।रोज आथवँ,फेर आज इहाँ मीटिंग काल उहाँ मीटिंग।आज बर ए कागज बना के पहुँचाना हे ,काल वो कागज बना के पहुँचाना हे।मैं तो इही म चकरघिन्नी कस घूमत रहिथवँ।मोर स्कूल के गुरुजी मन शिक्षाकर्मी आँय ऊँखर हड़ताल चलत  रहिथे। अकेल्ला मैं का करवँ। जब जब पढ़ाई लिखाई के बेरा आथे  उँकर हड़ताल चालू हो जाथे। हेड मास्टर के बात ल सुनके एक झन जवान शिक्षाकर्मी गुरुजी ह नराज होगे अउ खड़ा होके कहिच-- हड़ताल करना हमर अधिकार ए। जतका दाम तकका काम। तीन चार महीना ले तनखा नइ मिले राहय।  कर्जा में डूबे रहिथन तेकर अलग टेंशन। काला पढ़ाबे काला लिखाबे। हमर संग भारी अन्याय हे। हेड मास्टर जी के तनखा हमर ले पाँच गुना जादा हे त ओला पाँच गुना जादा पढ़ाना चाही। अउ ए बतावव- पालक मन घर म कभू अपन लइका मन ल  पढ़े बर कहिथव। बस थारी  ल बजावत मध्यान भोजन ख़वाये बर भेज के छुट्टी पा लेथव।अतका ल सुनके एक झन पालक तमतमा के खड़ा होगे अउ कहे लगिच- नाच न जाने आँगन  टेढ़ा। पढ़ाये लिखाये ल आवय नहीं अउ हमला दोष देवत हच।तूमन ल तो रात दिन मोबाइल ले फुर्सत नइये।भेंडी कस मूँड़ी ल गड़ियाये उही म भुलाये रहिथव।
  सरपंच ह तू-तू , मैं-मैं ल बन्द करावत मिडिल स्कूल के है  हेड मास्टर साहू जी ल पूछिच--कस  साहू जी तोरो स्कूल के अब्बड़ शिकायत हे।गुरुजी मन कक्षा म जावयँ नहीं। ऑफिस में बइठे-बइठे पेपर पढ़त दिन ल पहा देथें। आठवीं कक्षा के लइका ल जोड़ घटाना तको बनाये ल नइ आवय।
 साहू गुरुजी खड़ा होके कहिच- अइसे बात नइये सरपंच जी । गुरुजी मन तो पढ़ाथें फेर लइके मन ल पढ़े ल नइ आवय। अतका ल सुनकें ,गुरुजी के बुद्धि उपर तरस खावत सब खिलखिला के हाँस डरिन।साहू गुरुजी ह थोकुन झेंपत कहिच--बिन परीक्षा के फोकट के पास होना हे त कोन पढ़ाही अउ कोन पढ़ही ।अउ दूसर बात जेन हाल ऊधो के तेन हाल माधो के।मोरो स्कूल के जम्मों आदरणीय गुरुजी मन शिक्षाकर्मी आयँ। सब बेहाल हें, बिगड़े चाल हे।कुछु बोलबे तहाँ ले जीव के काल हे, बस जंजाल म जंजाल हे।मैं तो मीटिंग, जनगणना अउ छेरी पठरू गिनइ म अधमरा होगे हँव।
       एक झन पंच खड़ा होके कहिच --ले बंद कर तोर भासन ल। दिनभर होटल म बइठे भजिया झोरत गपसप मारे बर तुँहर करा समे हे बस लइका मन ल पढ़ाये बर टाइम नइये।
        साहू जी बइठिच तहाँ ले हाई स्कूल के प्रचार्य सेंडरे जी के पारी आगे।सरपंच कहिच--ले सेंडरे जी तहूँ अपन रोना रोडर। ए अतराफ म हमरे हाई स्कूल के रिजल्ट पन्द्रा प्रतिशत आय हे। एकर मतलब हे तूमन एक चवन्नी के लायक नइ अव।तूमन ल तो चुल्लू भर पानी म डूब मरना चाही।
    सेंडरे जी ह पानी-पानी होवत कहिच--आदरणीय जी। मैं ह परसान हवँ। दस झन के स्टाफ हे।तेमा नव झन बाहिर ले आना जाना करथें।आइन तहाँ ले जाये के जल्दी रहिथे। नौ झन म पाँच झन महिला शिक्षाकर्मी हें, तेमा के चार झन मातृत्व अवकाश म हें। मैं का  करवँ ।गणित विषय के शिक्षके नइये।कई दिन तो स्कूल ल महीं ह खोलथवँ। चपरासी तको नइये। घण्टी ल तको मोही ल बजाये ल परथे। सरपंच कहिच--ए सब  बहाना बाजी नइ चलय सेंडरे जी। खूँटा में दम नइये अउ गेरवा ल दोष। आन स्कूल मन के रिजल्ट अच्छा आये हे,एकर मतलब हे,तोर व्यवस्था ठीक नइये।
     इही बीच एक झन सियान ह खड़ा होके कहिच-- देखव तूमन आपस म वाद-विवाद झन करव। ताली दूनों हाथ ले बाजथे। शिक्षक, पालक, बालक सबो झन मिलजुल के प्रयास करबो त हमरो गाँव के शिक्षा व्यवस्था सुधर जही। गुरुजी मन घलो सोंचयँ- गुरु ल भगवान कहे जाथे। वो मन ल अपन मर्यादा अउ मान सम्मान ल बँचाके रखना चाही। समस्या कहाँ नइये? सब जगा हाबय। ज्ञान दान सबसे बड़े दान आय ।ए पुण्य कमाये के अवसर भवगान ह गुरुजी मन ल देये हे।  चलव आज हम सब किरिया खाबो कि- अपन लइका मन के भविष्य ला बने गढ़े बर जी जान ले प्रयास करबो।
         सियान के बात सबो झन ल बढ़िया लागिच। सरपंच कहिच- कका ह बढ़िया सुझाव देहे। सब झन खड़ा होके अपन छाती म हाथ रखके किरिया खाबो कि मिलजुल के लइका मन ल पढ़ाबो लिखबो अउ उँकर भविष्य ल बने बनाबो।
        सबो झन किरिया खाइन अउ सभा समाप्त होगे ।
 एकेच साल म स्कूल के हालत सुधरगे ।जोरदार पढ़ाई लिखाई होये ल धरलिच।हाई स्कूल के रिजल्ट आइच त पता चलिच जिला म प्रथम आये हे।

चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़

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