Friday 17 July 2020

ऑनलाइन लिखई पढ़ई- जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

ऑनलाइन लिखई पढ़ई- जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

                "छंद के छ" छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के समृद्धि बर अनवरत महिनत करत हे। सन 2016 ले सतत रूप ले चलत ये आंदोलन आज कोनो परिचय के मोहताज नइहे।आज छंदबद्ध कविता के बौछार सहज देखे बर मिलत हे,चाहे छंद परिवार के साधक होय या कोनो अन्य कवि होय,छंदबद्ध रचना करइय्या कवि मनके संख्या बढ़ गेहे।आज ले चार बछर पहिली *हिंदी म घलो छत्तीसगढ़ म छंदबद्ध रचना के ओतका चलन अउ चुलुक नइ रिहिस,फेर जब छंद परिवार छंद म रचना करेल लगिस त हिंदी के रचनाकार मन के ध्यान घलो,छंद ऊपर गिस अउ उहू मन लिखेल लगिस। वइसे तो  छंद ह सनातनी विधा आय ,जे आधुनिक दौर म विशेषकर छत्तीसगढ़ी म लगभग नही के बरोबर लिखावत रिहिस।हमर पुरखा कवि मन छंदबद्ध रचना बहुत करे हे ,येमा कोई दू मत नइहे, फेर नवा कवि मन 2016 के बाद येमा कलम चलाये बर सिखीस ।आज सोसल मीडिया म छंद बरसा देखे जा सकत हे।यहूमा कोनो दू मत नइहे कि "छंद के छ" साहित्यकार मन ल छंद कोती आकर्षित करिस*। गुरुदेव अरुण निगम जी के परिकल्पना आज बरोबर फलीभूत होवत हे,हमर महतारी भाषा साहित्य छंदबद्ध होके मनमोहक अउ सशक्त होवत हे,पोठ होवत हे। आज हमर भाषा साहित्य ऊपर अन्य भाषा वाले साहित्यकार,पाठक मनके घलो नजर हे, लोगन मन पढ़त हे अउ बड़ाई घलो करत हे।
                   आज पूरा विश्व कोरोना के घोर संकट ले गुजरत हे, मनखे मन घर म धँधा गेहे,एक दूसर ले मेल मिलाप नइ हो पावत हे, त अइसन म कोनो साहित्यिक आयोजन के परिकल्पना करना भी मुश्किल हे।त कवि मन का करे? लिखइया कवि मन पूरा रम के कलम चलावत हे,रोज सोसल मीडिया म एक ले बढ़के एक पोस्ट आवत हे। *अइसन म मंचीय कवि मन कइसे चुप बइठे,त उहू मन सोसल मीडिया के भरसक उपयोग करे बर लग गेहे।* आज ऑनलाइन कविता पाठ जोर शोर ले चलत हे।जम्मो झन अपन कविता ल आडियो,वीडियो रूप म सोसल मीडिया म सम्प्रेषित करत हे।कई बड़े बड़े साहित्यिक संस्था अइसन ऑनलाइन कवि सम्मेलन,अउ गोष्ठी के लाभ उठावत हे।कवि मन लाकडाऊन म घलो रच के लिखत हे, अउ गावत घलो हे।
                   फेर  *जब कोनो एक्का दुक्का (छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि पूरा भारत) ऑनलाइन कवि गोष्ठी के प्रचलन रिहिस,तब मार्च 2017 म,होली के पावन अवसर म छंद परिवार  प्रथम ऑनलाइन कवि गोष्ठी के आयोजन करिस।* जेमा सत्र 3 तक के साधक मन भाग ले रिहिन।वो दिन ले हर शनिवार अउ रविवार के छंद के छ के छंदमय काव्य गोष्ठी  लगातार चलत हे। कभू कभू तो कोनो  परब विशेष म घलो कवि गोष्ठी के आयोजन होवत रहिथे। सत्र 1 से 3 तक के साधक( लगभग 20,25)मन ले शुरू होय ये गोष्ठी  म आज लगभग 80 ले 90 साधक मन हर शनिवार अउ रविवार के भाग लेथे।
                     इही गोष्ठी के दौरान समय समय म हमर बीच पहुना मन घलो पधारत रहिथे,जेमा कविता वासनिक जी,संतोष झाँझी जी,सरला शर्मा जी,दिनेश  गौतम जी, शैलजा ठाकुर जी,महादेव हिरवानी जी,बलदाऊ साहू जी, लतीफ खान जी,सुधीर शर्मा जी,माणिकविश्वकर्मा नवरंग जी के अलावा कई बड़े साहित्यकार अउ कलाकार मन अतिथि के रूप म शामिल हो चुके हे।उहू मन छंद परिवार के अइसन उदिम ले भारी खुश होइन,अउ रंग रंग के छंद के संगे संग सुमधुर राग ल सुनके खूब प्रशंसा करिन*। ये आनलाइन गोष्ठी के एके उद्देश्य हे, *लेखन के साथ साथ साधक मन ,छंद विशेष के धुन जाने,अउ गायन म घलो पारंगत होवय,काबर कि हर छंद के धुन अउ लय अलग अलग होथे, येखर बर अइसन आयोजन जरूरी घलो हे,, आज छंद परिवार के साधक मन लगभग 70 ले 80 प्रकार के छंद म बरोबर लिखत हे अउ मनभावन प्रस्तुति घलो देवत हे, जेला हर शनिवार अउ रविवार के सहज देखे सुने जा सकथे, येखर बर आन लाइन गोष्ठी ग्रुप हे जेमा छंद परिवार के जम्मो साधक मन जुड़े हे* ।आज कवि मन लाकडाउन म जम के सोसल मंच म,भड़ास निकालत हे, रोज नवा नवा आडियो,वीडियो सुने देखे बर मिलत हे, जे बड़ खुशी के बात हे। 
                   छंद परिवार  अइसन गोष्ठी 2017 ले आयोजित करत हे,जेमा कोनो 10,5 कवि नइ होय, बल्कि 70,80 कवि मन छंदबद्ध कविता पढ़थे।अउ सबले बड़े बात हर हप्ता दू कवि मनके संचालक करे के पारी घलो होथे, जेमा हर कवि ल संचालन के मौका मिलथे,जेखर ले  सबे कवि मन में संचालन करे के साहस बढ़थे। छंद के छ परिवार महतारी भाषा के मान सम्मान बर पूर्णतः समर्पित हे, लेखन अउ गायन दोनो दिशा म आनलाइन कक्षा,अउ गोष्ठी के माध्यम ले सतत उदिम करत हे।आज छंद परिवार के 1 से 12 तक के सत्र संचालित हे।परम् पूज्य बड़े गुरुदेव निगम जी अउ जम्मो वरिष्ट साधक चोवाराम वर्मा बादल जी,आशा देशमुख जी,दिलीप वर्मा जी,अजय अमृतांसु जी,मनीराम साहू मितान जी,मोहन वर्मा जी,सुखदेव अहिलेश्वर जी,ज्ञानु मानिकपुरी जी,गजानन्द पात्रे जी,बोधन निषाद जी,राम कुमार चन्द्रवंसी जी,बलराम चन्द्राकर जी,महेंद्र बघेल जी,पुरषोत्तम ठेठवार जी,हेम साहू जी,आदि गुरुजी मन बधाई के पात्र हे,जिंखर उदिम ले *सीखे अउ सिखाय* के ये आंदोलन अनवरत चलत हे।
                   जय जोहार।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
साधक-सत्र-3

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