Friday 24 July 2020

आज लाचार हे बेटी (चिंतन)*

*आज लाचार हे बेटी (चिंतन)*

बेटी बहू मन ला आज हमर समाज मा , लक्ष्मी के रूप कहे जाथे । अउ आज हमर समाज मा जतेक हकदार बेटा मन हावय , कोन्हों चीज के ओतके हकदार बेटी मन घलव हावय । फेर कहिथे ना बेटी मन हर तो पराया धन होथे , ओमन ला तो एक दिन अपन ससुराल जाएँ ला पड़थे । ये हर तो दुनिया के रीत हे , अउ इही हर सबो दिन चलत आवत हे । की बेटी मन ला तो एक ना एक दिन अपन माई मइके ला , छोड़ के ससुराल जाएँच ला पड़थे । पहिली हमर समाज मा शिक्षा के बहुते कमी रहिस , तेपाय के ओ समे के लोगन मन के अपन सोच अउ समझ । मन हर घलव छोटे - छोटे राहत रहिस ,  अउ लोगन मन हर ओ समे बेटी अउ बेटा मा अंतर  (भेद) करत रहिन हे । फेर आज तो हम सबो झन पढ़े लिखे , अउ शिक्षित संग जागरूक समाज के बीच मा रहिथन । जिहा आज बेटी अउ बेटा दुनो झन ला बराबर के अधिकार हवै , आज हमन हर कहिथन की अब नारी मन हर अबला नइ रहिगे हे सबला होंगे हावय । फेर कहाँ तक ? आज हम भले कहाथन , की बेटी मन के अब्बड़ सुनइ हे कहिके । अउ आज बेटी मन हर घलव सबो जिनिस मा सबो क्षेत्र मा बेटा मन संग खाँध मा खाँध मिलाके चलत हवै कहिके । फेर हमर समाज मा आज ले घलव छोटे अउ गंदा सोच के , कुछ अइसन लोगन मन हर हावय । जउन मन आज ले उही सब जुन्ना रीत रिवाज , अउ अपन सब जुन्ना गोठ बात मन ला धरके बइठे हावय । अउ आज अइसन लोगन मन के चलते ही , समाज के हर घर मा ,  आज ले घलव दहेज के झगड़ा , बेटी मन के भ्रूण के हत्या । अउ अइसन कइ प्रकार के परिवार मा रोज के झगड़ा झंझट मन सब होवत रहिथे ।
आज समे के संगे संग सबो जिनिस मन हर बदलगे हवै , फेर ओइसन सोच वाले लोगन मन हर कभू नइ बदलीन ।
आज अइसन कतकोन घटना मन के , बारे मा हमला  रोजे पढ़े अउ सुने बर मिलत रहिथे । अइसे एको दिन नइ बीतत होही , जउन दिन अइसन कोनो घटना के बारे मा हम नइ पढ़त अउ सुनत होबो । आज अतका जागरूक अउ शिक्षित समाज होय के बाद भी , हमन हर आज हमर बेटी मन के संग होवत अत्याचार मन ला नइ रोक सकत हन । येहर हम सबो झीन बर बड़ सोचे वाला बात ये , आज कतकोन पढ़े लिखे अउ अनपढ़ बेटी मन हर सब , अपन ससुराल जाके कतकोन परशानी मन ला झेलत सहत रहिथे । ता उही कतकोन बेटी मन ला दहेज के लालच मा , दहेज के लोभी लोगन मन हर दहेज के भेट चढ़ा देवत हवै , ता कतकोन बेटी मन हर रोज - रोज मारत ताना लड़ई झगड़ा अउ मारपीट ले तंग आके खुदे अपन आत्महत्या कर लेवत हावय । जउन सब गोठ बात मन हर आज हमर समाज बर ,  बड़का भारी समस्या बनत जावत हवै । आज हमन हर भले कहिथन बेटी के मइके अउ ससुराल दू ठन घर होथे कहिके , फेर आज कल ये बात हर घलव बस कहे भर के होंगे हावय । बेटी जब बिहाव करके बिदा होके अपन मइके ले ससुराल मा जाथे , ता मइके वाला मन हर सब सुसिन्त्र हो जथे । की बेटी अपन ससुराल गय हमर मन के मुड़ मा बोझा उतरगे कहिके , अउ ओमन हर सब हरहिंसा होके अपन बेटी के सुध ल ले बर भुला जथे । अब बेटी हर नवाँ नवाँ अपन ससुराल मा आय आथे , ता का ओला सुख मिलथे अउ का दुख मिलथे ।  बेटी मन हर अपन ससुराल वाले मन के , जम्मो अत्याचार मन ला चुपे चाप सहत रही जाथे , फेर एको कनीक ।  काही बात ला अउ अपन दुख तकलीफ मन ला । अपन मइके वाले मन ला नइ बतावय , काबर दाई ददा अउ भइया मन ला मोर खातिर परशानी झन होवय कहिके । अउ उही बेटी हर आज अपन माई मइके मा कहूँ अपन भउजी मन ला दू शब्द का कहि देथे । भउजी मन के तो अन्तस् मा आगी लग जथे । अउ ओइसन भउजी मन हर घर परिवार ला घलव तोड़ देथे । का बेटी मन के अपन माई मइके मा कोनो हक नइ राहय का , आज ससुराल वाले मन ले रोज के दुख अउ तकलीफ ला झेलत सहत । एक झन बेटी के आखरी आसरा अपन मइके हर ही होथे , अउ कहूँ मइके वाले मन हर घलव बेटी संग अइसने कर के अपन मुंह  ला फेर लेही । ता का बेटी मन के अपन कोनो घर नइ होवय का । सिरतोन मा आज हमर बेटी मन के ये दयनीय हाल हा ,  हमर समाज बर बड़ चिंता के विषय बनगे हावय । अउ ये सब गोठ बात मन ला देखे जावय ता हमर समाज मा , बेटी अउ बहू दुनो झन मन । आज अब्बड़ लाचार दिखत हावय , जउन मन हर न तो अपन मइके के होवत हे अउ ना ससुराल के ।  

          मयारू मोहन कुमार निषाद 
            गाँव - लमती , भाटापारा , 
       जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर चिंतन भाई जी

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  2. बधाई हो भाई,सुंदर गद्य अभिव्यक्ति👌👏💐💐

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