Friday 17 July 2020

मोर करनफूल .मोबाइल -सरला शर्मा

मोर करनफूल .मोबाइल -सरला शर्मा
*****
     जोड़ -  घटाव , गुणा-   भाग , औसत-प्रतिशत  एमन कोनो दिन मोला नई भाईन , फुटहा आंखी नई सुहाइन  तेई  पाय के मइके -  ससुरे मं गणितशत्रु नांव धरा गिस तभो जिनगी पहावत  रहिस के ए उम्मर मं गणित के अंक मन फौज -  फटाका ले के हाज़िर होगिन ...मरन होगिस ...नई समझेव ? मोबाईल आ गिस जेकर नम्बर मन यादे नई रहंय ...अरे भाई ! दू चार ठन रहितिस त पानी पी पी के रट डारतेंव ..।
का दुख ल गोठियावंव आजकाल तो कामवाली बाई , रिक्शावाला , धोबी , माली , दूधवाला सबो झन तीर मोबाइल हे फेर सगा- सोदर , जन-  नता , हितू - पीरितू के मोबाईल नम्बर तो रहिबे करही न ? अब गुनव तो संगवारी मन ! बपुरी गणित शत्रु  कतका कन नम्बर ल सुरता राखे सकहीँ ?
    जीव सांसत मं पर जाथे जब बहिनी के नम्बर लगाथंव सास -  ननद के रोना रोये बर , हलो कहिथें छोटकी ननद नही त  डेड़सास ...उही मोबाईल  ल अपने मुड़ी ऊपर पटके के मन हो जाथे ..। संगवारी घर जाये बर रिक्शा वाला के नम्बर लगाथों पहुंच जाथे धोबी ...। थोरकुन विषयांतर करत हंव .। आज जौन मोबाईल हर लइका -  सियान सबो के कान के करनफूल बन बइठे हे तेकर फायदा तो दिखत हे फेर नकसान कतका कन हे , कोन कोन तरह के सांसत मं परे जा सकत हे ....एहू डहर धियान देना जरूरी हे ....।
      बिहनिया ले  आधा रात तक बोलत - सुनत रहिथन तेकर बारे मं  यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया के खोज कहिथें के मोबाईल ल वाइब्रेशन मोड मं जादा देरी तक उपयोग करे ले केंसर के खतऱा  बढ़ जाथे , भैरा होये के अंदेसा चार गुना हो जाथे । इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग के चलते दिमाग के कोशिका मन के बढ़ोतरी कम हो जाथे अतके भर नहीं मोबाईल ल  मुड़सरिया तीर रख के सुते ले भी बहुत अकन दिमागी परेशानी बढ़ते काबर के दिमाग के भीतर भी सूचना के आवा जाही हर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग के मार्फ़त ही होथे त दिमाग के प्राकृतिक तरंग मन पर तो असर परबे च करही ।
  दिन भर मोबाईल मं गोठियाना माने मनसे के निर्णय क्षमता के खतम होना ...गुनव न छोटे छोटे समस्या ल  दूसर मन सो बोल बता के तुरते समाधान पा जाये से हमर बुद्धि के उपयोग कब करबो , दूसर के लोगन के सुनत रहिबो त अपन मन के बात कब , कइसे सुनबो  परभरोसी , परबुधिया हो जाबो । जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय  दिल्ली के खोज ल घलाय जानना चाही ....पहिली बात डीएनए कोशिका मन टूट जाथें जेकर से प्रजनन क्षमता प्रभावित होथें यानि बांझपन बढ़थे । दूसर बात माइक्रोवेव रेडीएसन के चलते मानव कोशिका एन्टी आक्साइड डिफेंस मैकेनिजम उपर असर परथे अउ रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाथे त दूसर डहर हृदय रोग बढ़त देरी नई लागय , अल्जाइमर , गठिया बात असन बीमारी मन ल इही मोबाईल हर फोन करके बलाथे ।
तीसर बात एकर से निकलत विद्युत चुम्बकीय तरंग के चलते सेंट्रल नर्वस सिस्टम ऊपर बड़ नुकसानदायक प्रभाव परथे , असमय बुढ़ापा  आ जाथे , संगवारी मन ! बुढ़ापा के अवाई ओहू जल्दी से ..तो कोनो नई चाहय ।  सिक्योर एनवाय संस्था के अनुसार तो नोमोफोबिया बीमारी के खतरा 70 % बढ़ जाथे ।  मनसे ल अकारन , घेरी बेरी मोबाईल देखे के आदत पर जाथे , मोबाईल के चुलुक लगथे ...नसा हो जाथे अइसन स्थिति ल वैज्ञानिक मन " सुडो पैरानायड सिजोफ्रोनिया " कहिथें ।
   मोबाईल विरोधी तो महूं नोहवं फेर नवा उपकरण तो आय सोच समझ के , जरूरत के मुताबिक उपयोग करिन ...सियान मन कहिथें न " जरय वो सोन जेमा कान टूटय ...."  अति सर्वत्र वर्जयेत घलाय तो सुने रहेंव ....के पढ़े  रहें ....सुरता नई आवत हे । अउ एक ठन मोबाईल नम्बर लिख लेवव जी  कभू काल कामे आही ...98261 67502
   
        " आखऱ के अरघ "  मं संग्रहित लेखांश
              सरला शर्मा
                 दुर्ग

4 comments:

  1. गज़ब सुग्घर दीदी

    ReplyDelete
  2. बहुत सुग्घर आलेख दीदी ।दिन भर मोबाइल कोंचके ले बाँचव

    ReplyDelete
  3. बहुत सुग्घर दीदी जी

    ReplyDelete
  4. आपके लेखनी ला नमन दीदी ।बहुत सुग्घर लेख।

    ReplyDelete