Friday 17 July 2020

मोबाइल के जमाना-महेंद्र देवांगन



  मोबाइल के जमाना-महेंद्र देवांगन

आजकाल जेला देखबे तेला मोबाइल धरे पाबे। अइसे कोनो नइहे जेकर कर मोबाइल नइ होही। अमीर लागे न गरीब लागे, सब के पास एक से बढ़के एक माँहगा मोबाइल पाबे। बिना मोबाइल के कोनो चले नइ सके। एक प्रकार  से एहा नवा मोबाइल युग आ गेहे ।

लइका होय चाहे सियान होय, छोटे होय चाहे बड़े होय ,टूरी होय चाहे टूरा होय सबला मोबाइल चाही। एकर बिना काकरो काम ह नइ चले। काम राहे चाहे मत राहे फेर मोबाइल धरना जरूरी हे। जेकर पास मोबाइल नइहे समझ ले वो दूनिया के सबले पिछवाय आदमी हरे।

मोबाइल के आय ले कतको काम बनत हे अऊ कतको काम बिगड़त हे। एहा उपयोग करइया के उपर हे। मोबाइल हाबे त सबला नेट पैक भराना भी जरूरी हे। नहीं ते तोर मोबाइल डब्बा भर हरे। अउ जेकर मोबाइल में हाबे नेट, समझ ले वो हाबे कोनो न कोनो ले सेट। अहू बात पक्का हे।

आज फेसबुक, वाटसप, मैसेन्जर, ट्वीटर दुनिया भर के एप के माध्यम से आदमी नावा नावा दोस्त बनावत हे अऊ रोज ओकर से गोठियावत हे।भले परोस में कोन रहिथे तेला आदमी नइ जाने। फेर दुनिया के अंतिम छोर में बइठे आदमी से रोज गोठियाथे। कतको लड़की लड़का  मन मोबाइल के नाम से बिगड़त हे। पढ़ई लिखई ल छोड़के खाली नेट चलावत हे, अउ फुसुर फुसुर गोठियावत हे। घर के मन ह कतको खिसियाथे तभो ले नइ छोड़े।

मोबाइल में रंग रंग के बात ल सुनले। एक दिन मंदिर कर खड़े रेहेव त एक झन भिखारी के मोबाइल ह टिडि़ंग टिडिंग बाजे लागिस। वोहा अपन भीतरी के जेब ले अपन मोबाइल ल निकालिस। मेहा ओकर महंगा वाला मोबाइल सेट देखके मुँहू  ल फार देव। हमर मन कर साले अलवा जलवा मोबाइल अउ ए भिखारी कर अतका महँगा टच स्क्रीन  मोबाइल।
 मोला उत्सुकता  होइस की ये का गोठियाथे अउ मेहा दूसर डाहर ल देखत कान दे के सुने ल धर लेव। मोबाइल के घंटी बाजत रहिस तेला वो भिखारी ह स्टाइल से पट ले दबाइस। अउ बोलीस - हां हलो , का हाल चाल हे।दूसर तरफ ले अवाज आइस---का बताबे यार आज तो धंधा पानी बिल्कुल मंदा हे। बिहनिया ले घूमत हो फेर ले दे के दू  सौ रुपिया सकलाये हे।

पहिली वाला भिखारी बोलथे ----- कोन पारा में घूमत हस यार
दूसरा भिखारी ------ बाजार पारा में
पहला भिखारी -------अबे तोला बजार पारा में मत जाबे बोले रेहेंव न।बात ल मानस नही। ओमन  ह सोमवार के देथे।
दूसरा भिखारी ------- अरे यार में हा पहिली गोपीबंद पारा में गे रेहेंव, फेर उंहा आज एक झन खोरवा साले  ह पहिली ले पहुंच गे रिहिस हे त में हा बजार पारा चल देंव।
पहला भिखारी --------अबे त भगाय नइ रतेस वोला। कोन हरे  तेला।
दूसरा भिखारी --------अरे ओकर हालत ल देखके महू ल दया आगे। ओकरे सेती कुछु नइ बोलेंव।
पहला भिखारी --- - अबे साले तेंहा भिखमंगा के भिखमंगा रबे। कभु नइ सुधर सकस ।अइसने दूसर बर शोक करबे त तेंहा काला कमाबे। तोर एरिया मे कोनो जाथे वोला बिल्कुल चमका के भगाय कर।
दूसरा भिखारी --- हां यार गलती होगे।
अब नवा नवा आये हँव त जादा आइडिया नइ हे।
पहला भिखारी --- आइडिया सीख त तोर काम बनही।
हां अऊ सुन आज जे नावा असन फूलपैंट पहिन के गेहस न। काली से वोला बिल्कुल पहिन के मत जाबे। जब भी जाथस चिरहा असन ल पहिर के जाय कर।

दूसरा भिखारी --- हौं , जल्दी जल्दी में आज इही ल पहिर पारेंव। अब नइ पहिनो।

पहला भिखारी ----- अऊ तोर मांगे के तरीका ल भी बदल ।बने सुर लगा के बोले कर '--- दे दे दाई$$$,,  भगवान तोर भला करे माई$$$

तोर बाल बच्चा ल बने खुश राखे बहिनी$$$ अइसे बोले कर।

दूसरा भिखारी ------ हौ गुरु वइसनेच बोलहु।

पहला भिखारी ------- काली तेहां कालोनी म चल देबे। उहां बहुत मिलथे अऊ मेहा शिक्षक नगर में जाँहू।

तहान परन दिन रायपुर जाबो। पिक्चर देखके आबो।

मेहा ओकर मन के गोठ बात  ल सुनेव त हक्का बक्का रहिगेंव।

यहा का मोबाइल के जमाना हरे ददा । मे तो सपना मे नइ सोंचे रहेंव अतेक पान मोबाइल क्रांति आ जाही कहिके।

अब वो जमाना भी दूर नइहे जब भिखारी मन मोबाइल में फोन कर करके भीख मांगही।

जय हो मोबाइल महराज ।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया  (कवर्धा )
छत्तीसगढ़

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