Monday 27 July 2020

दूरदर्शी तुलसीदास-हीरा गुरुजी समय



दूरदर्शी तुलसीदास-हीरा गुरुजी समय

          रामचरित मानस के रचयिता रामभक्त गोस्वामी तुलसीदास वाजिब मा दुरदर्शी मनखे रहिस।एक साहित्यकार के रुप मा ओखर रचित छंद महाकाव्य के एक एक शबद के मोल बर हीरा मोती हा कमती हो जाथय।छंद के एक एक शब्द ला छाँट निमार के अप्पड़ अउ ज्ञानी दूनो के गुने के लइक बनाइस।कोन छंद ला कते जगा बउरे जावय उही बखत मा बता दिन। ओखर एक कृति हा ओला देव रूप बना दिस। जौन बखत उँखर जनम होइस,पालन पोषण होइस, शिक्षा पाइन पाछू बर बिहाव होइस। आज चार- पाँच सौ बच्छर पाछू तुलसीदास के ओ बखत के दूरदर्शी बिचार फलित दिखत हे। 

         बाबा तुलसीदास जी अइसे तो रामचरित मानस मा सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग के संगे संग कलियुग के हाल के सुग्घर बखान करे हावय।कलयुग मा आगू आगू काय काय होही एला अपन दूरदर्शी बिचार मा लिख दिस। भले ओहा दूसर कल्प डहर अंगरी देखावत लिखिस फेर ओहा आज हमन ला देखेबर मिलत हे- जइसे 

"नर अरु नारी अधर्मरत सकल निगम प्रतिकूल" 

            माने कलियुग मा आदमी अउ नारी परानी अधरम करइया अऊ वेद मा बताय नीत के बिरोधी होही। आज मनखे विज्ञान के नाव लेके अंधविश्वासी होगे। दूरदर्शी तुलसीदास जी बताइन कि कलजुग मा धनवान ला धन के घमंड,बलवान ला बल के अउ गुनवान ला गुण के घमंड होही। सब धर्म के ग्रंथ मन लुका जाही अउ कतको अकन नवा नवा पंथ बन जाही। पढ़े लिखे गुनवान मन से भ्रष्टाचार बाढ़ही माने उही मन धन के हरण(शोषण) करहीं।धरम के रद्दा देखाइया मन खुदे रद्दा भटक जाही। साधू संत घर अउ मंदिर मा धन भरे रही अउ गृहस्थ हा गरीब रही।

         आज तलाक, बहुविवाह, लिव इन रिलेशन सिप, के जौन गोठ बात करथन ओला तुलसीदास हा उही बखत कहि दे रहिस।"भजहिं नारी पर पुरुष अभागी"। वइसने आदमी हा नारी के बस मा रही।" नारी बिबश नर सकल गोसाई"। आदमी मन ससुरार के बस मा हो जाही। अइसे तो नारी मन बर धरम, मर्यादा के अबड़ अकन गोठ लिखे हवय फेर सबो ला इहा फरियाय नइ सकव। गुरु चेला बर कहिन कि गुरु मन चेला के धन ला हरण करही, अउ चेला मन गुरु के बातेच ला नइ सुनही।आज सँउहत  उही हा दिखत हे।ईर्ष्या द्वेष, लालच, कामना, पाखंडीपन, जिद्दीपन के संख्या बाढ़ही।

            कवि साहित्य कार तो बहुत होहीं फेर उँखर मानगउन करइया, समझइया, आसरा देवइया नइ मिलय।लबरा अउ बतंगड़ ला गुनवान समझे जाही जाही। जे अपन आप ला दूसर ले आगर बताही ओखरे पूजा होही। अउ कतको बात लिखे हावय जेला आज हमन सँउहत देखत सुनत हन। भूत , वर्तमान अउ भविष्य के दूरदर्शी बिचार ला अपन छंदबद्ध रचना रामचरित मानस मा लिख के बाबा तुलसीदास हा देव रुप मा अमर होके सीख देवत हे।


हीरालाल गुरुजी "समय"
छुरा, जिला- गरियाबंद 

1 comment:

  1. बहुत सुग्घर आलेख सर जी

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