Thursday 23 July 2020

आलेख:-वैश्विक महामारी कोरोना पर छंद परिवार के साधकों का विचार

आलेख:-वैश्विक महामारी कोरोना पर छंद परिवार के साधकों का विचार


 कवि बादल: *वर्तमान के ज्वलंत समस्या--कोरोना वायरस*
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आज सरी दुनिया म सबले बड़े ज्वलंत समस्या कोरोना महामारी ह हाबय। ए कोरोना वायरस रूपी भस्मासुर ह सब ला भसम करे बर तुले हे।जइसे बघवा के आगू म हिरना ह थरथर काँपत खड़े रहिथे ओइसने पूरा संसार ए बैरी कोरोना वायरस के सामने काँपत हे। बड़े-बड़े शक्तिशाली राष्ट्र मन के तको घिग्घी बँधागे हे।चूँ चाँ तक नइ कर सकत हें। ए नानकुन वायरस जेन दिखय तक नहीं के सामने अरबो-खरबो रुपिया काम नइ आवत हे। अंतरिक्ष म जाके रोज तहलका मचइया, रंग रंग के खोज करइया, समुंदर ल मही कस बिलोइया ,चंदा म घर बसाबो कहइया ,मंगल म घलो अमंगल करे म तुले , एटम बम अउ आनी बानी के हथियार बनइया ,विज्ञान तको  अभी ए वायरस के आगू म हाथ जोरे नतमस्तक होगे हे। मनखे के सरी अंग ल रिपेरिंग करे म अउ हिरदे ,गुरदा तक ल बदल के आने लगाये म सक्षम चिकित्सा विज्ञान तको एकर आगू म फेल होगे हे।पूछबे त कहिथे एकर दवा नइये। जिहाँ देख तिहाँ बस लचारी भरे हे।
       ए कोरोना वायरस ह रक्त बीज कस बाढ़त बाढ़त विकराल रूप लेवत हे।लॉक डाउन उपर लाकडाउन होवत हे। कोनो मेर खुल जा सिमसिम कहिके ताला खुलथे तहाँ ले बन्द होजा सिमसिम कहिके तुरत बंद हो जथे।
    ए  डर डरावन कोरोना के वर्णन करे बर शब्द घलो कम पर जही। एकर छइहाँ जेमा जेमा  परत हे वो सब जिनिस मुरझा जवत हे।ए कोरोना के समस्या ह समस्या उपर समस्या पैदा करत जात हे।जइसे--
*रोजगार के समस्या*---कल कारखाना मन एकर मारे बंद परे हें। आर्थिक गतिविधि  पूरा ठप्प होगे हे।तेकर सेती लाखों श्रमिक मन बेरोजगार होगे हें।गरीबी म आँटा गिल्ला के स्थिति आगे हे। कतेक झन ल  दाना दाना बर तरसे ल परत हे। सरकारी सहायता ह ऊँट के मुँह म जीरा बरोबर साबित होवत हे।
*मँहगाई के समस्या*---ए कोरोना के सेती फेक्ट्री मन बंद हें। उत्पादन होवत नइये। समान के पूर्ति नइ हो पावत ए। रेल, ट्रक ,बस, मोटर कार सब बंद हें। पेट्रोल अउ डीजल के भाव आसमान छूवत हे तेकर सेती मँहगाई ह रात दिन सुरसा के मुँह सहीं बाढ़त हे। अइसे लागत हे कि ए हा आम जनता ,गरीब गुरबा मन ला सइघो लील के रइही।
*कालाबाजारी के समस्या*--ए कोरोना के समस्या ह काला बाजारी करइया मन बर सीका के टूटती अउ बिलइया के झपटती सही होगे हे। दू रुपिया के समान ल पचासों रुपिया म बेंच के पापी मन अपन तिजोरी भरत हें। मजबूर मनखे के खून ल जोंक असन पियत हें।अउ काला गिनाबे।नमक हरामी मन --दस रुपिया के नून तको ल सौ ,दू सौ म बेंचे हें। लूट सको तो लूट के धूम मचे हे।
*चिकित्सा के समस्या*-- प्राइवेट अस्पताल मन बंद हें। सरकारी अस्पताल मन खुलें हें तेनो म कोरोना के अलावा आन बीमारी मन के इलाज नइ होवत ए।आम जनता बर तो एहा दुब्बर बर दू असाड़ सहीं होगे हे। एक कोती खाई हे त एक कोती कुँआ हे। बिन इलाज के मरना परत हे।
         सरकारी अस्पताल मन मा मरीज मन बर बिस्तर अउ दवई के बहुतेच कमी हे।
 कुछ पाइवेट अस्पताल मन सरकारी अनुमति ले खुले हें त उँकर इलाज करे के खर्चा ल सुनके हमर जइसे के जीव अइसने छूट जही।शायद इहाँ डॉक्टर रूपी भगवान नइ राहयँ, मौत के सौदागर मन रहिथें।
*समाजिक अउ पारिवारिक समस्या*---कोरोना के सेती कहूँ आना जाना बंद हे। घरे म खुसरे खुसरे रहे ल परत हे। मनखे ह समाजिक प्राणी आय। हिलमिल के प्रेम , भाई चारा ले रहिथे तब ओला अच्छा लागथे ।आज एमा गिरावट हे। ककरो सुख दुख म कोनो शामिल नइ हो सकत हे।
  कोरोना मरीज भले वो पूरा ठीक होगे हे ओकर संग पारा मोहल्ला अउ गाँव परिवार के मनखे मन निर्दयी होके अछूत बरोबर व्यवहार करत हें। तीर में आना जाना ते दूर कोनो दू ठन मीठ बोली गोठियाये बर तइयार नइयें।
    अइसे भी देखे म आवत हे कि बाहर ले लहुटे श्रमिक मन ल गाँव वाले मन बस्ती म आवन नइ देवत एँ।
         काम धंधा बंद हे।घर के खर्चा चलाना मुश्किल होगे हे तेकर सेती परिवार म घलो कलह बाढ़त हे।
*अवसाद के समस्या*-- घर म धँधाय अबड़े दिन होगे तेकर सेती मनमाड़े असकट लागे ल धर लेहे। बाग बगइचा, टाकीज, मेला मड़ई, माल,खेल कूद जइसे मनोरंजन के साधन सब बंद हे ।
   लइका मन सुतंत्र होके बाहिर म खेल नइ सकत एँ, सियान मन बाहिर म घूम फिर नइ सकत हें तेकर सेती अवसाद के बीमारी बाढ़त जात हे। सुने म आथे कई झन आत्महत्या कर लेवत हें।
*शिक्षा के समस्या*-- स्कूल ,कालेज सब बंद हे। परीक्षा होवत नइये। भगवान जानै का होही ते। लइका मन के पढ़ाई लिखाई पूरा चौपट हे।
       *हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता*  सहीं ए कोरोना  महामारी ले उतपन्न समस्या मन हें।गिनाबे त सिराबे नइ करही।
      कोरोना महामारी के बहुत अकन सकारात्मक पक्ष घलो हे। पर्यावरण बहुत शुद्ध होये हे, लोगन मन म सेवा भाव बाढ़े हे आदि फेर समस्या के भयावहता के सामने ए मन कुछ फीका हें।

चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़

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सभ्यता अउ सँस्कृति बर बड़का खतरा हे : कोरोना*

       कोरोना के नाँव सरी दुनिया म लइका, सियान अउ जवान सबो के मुँहेच ऊपर हे।सबो इहीच कहिथे पूछथे अउ कतेक दिन ले घालही ए ह? फेर एकर जुवाब अभी काखरो मेर नइ हे।न बइद-बइगा, न डॉक्टर, न वैज्ञानिक मन जगा हे।सबो अपन-अपन कोति ले कोशिश करत हें।एक बात हे के आज सबो एकर ले हलकान हे।सबो के जिनगी एक ठउर म ठहर गे हावै।दोखहा बरोबर सब ल परेशान करत हे।नेता, व्यापारी, सेठ-साहूकार,मजदूर सबो के चैन छीनागे।कोरोना लाहो लेत हे।चार झन बरोबर बइठ के सुख-दुख ल गोठिया नइ सकत हे।चार छै दिन बाद नइ दिखैया संग बइठे बर सोचे ल पड़गे हे ,कहूँ यहू ल ....।चिन्हार ह अनचिन्हार बने के उदीम करत हे।मन म शक होय धर ले हे।मन कोरोना के डर म मिलत नइ हे।
        ओनहारी मिंजत किसान मन बइला के मुँह म टोपा बाँधय ,ओनहारी जादा झन खाय कहिके।फेर वाह रे कोरोना तोर आय ले सब ल मुँह छुपाय बर होगे।सियान मन केहे हे - हड़िया के मुँह तोपबे, मनखे के मुँह काला तोपबे।फेर कोरोना के चलत वहू ह तोपा गे।चार मनखे एक जगा बइठे बर भुला जही,अइसन लागत हवै।
       अरस्तू ह कहे हे- मनखे सामाजिक जीव हरे, समूह म रहिके अपन जीवन बसर करथे,उही ह मनखे आय।फेर याहा का जमाना आगे।समूह या भीड़ ले दूर भागे ल परत हे।
         आज कोरोना ले  बाँचे अउ सावचेती के जम्मो जतन होवत हे,तब ले कोरोना भारी परत हे।दिनोंदिन देश दुनिया म रोग बाढ़तेच हे।ए बड़का समस्या बन, डॉक्टर अउ वैज्ञानिक मन बर बड़े चुनौती बने हे।
        संक्रमण ल देखत बाँचे के उपाय ह आज बड़े इलाज हे।फेर ए उपाय के चलत सामाजिक दूरी के लम्बा होय ले,मनखे अउ मनखे के बीच के नता-रिश्ता अउ आपसी संबंध ह कमजोर होही।कतको संबंध मन के खतम होय के डर घलुक हे।जेखर ले भविष्य म परम्परा,रीत-रिवाज अउ सँस्कार के मिटे के खतरा घलुक हे।ए रीत-रिवाज अउ परम्परा मनखे ल मनखे ले जोरे राखथे। अइसन म रीत-रिवाज,सँस्कार अउ सभ्यता के धीरे-धीरे विनाश होय के डर हे।सामाजिक आयोजन जइसे के गणेश पूजा, दुर्गा पूजा, मँड़ई-मेला, हाट-बजार अइसन अउ कोनो भी आयोजन समाज ल आर्थिक, साँस्कृतिक, पारम्परिक,सहकारिता मजबूती देथे।ए ह कोरोना के जादा समय रहे ले बिखर सकत हे।चार एक महीना ले सामाजिक दूरी के चलत छोटे छोटे गँवई-रोजगार जउन बजार-हाट म चलै, बंद हे।एखर ले परिवार के आगू जीए खाए के संकट घलुक खड़ा होवत हे।
       ए संकट के चलत समाज म अपराध बाढ़े के खतरा भी हावै, जेखर चिंता आजकल मनोवैज्ञानिक अउ समाजशास्त्री मन करत हावैं।
     जइसे जइसे समय आगू बढ़त जावत हे कोरोना ले मनखे के मन डर भागत हे। ए ह रोग ले लड़े म फायदा के बात आय।फेर जउन ढंग ले मनखे अपन दिनचर्या जीयत हे ओखर ले संक्रमण फइले के चाँस जादा हे।जउन ठीक बात नोहय।

पोखन लाल जायसवाल
पलारी ,जि.बलौदाबाजार भाटापारा छत्तीसगढ़

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 मनीराम साहू: करोना मातादाई

येदे एक अठोरिया के बात ये मोर स्कूल गाँव के आश्रित गाँव भोथीडीह ले स्कूल मा बइगा बबा अइस, कहिस मास्टर बाबू मोला दाखिल खारिज के फोटू कापी देदे एकर बिना मोर काम अटक गेहे। मैं कहेव थोरके बइठ बना के दे देहूँ अउ फोटू कापी करवा के प्राप्त कर्ता मा दसकत करे बर केहेवँ। बइगा बबा कहिस- बाबू मोला दसकत करे बर नइ आवय अँगठा लगाहूँ, काबर मैं स्कूल मा भर्ती बस होय रहेवँ एको दिन पढ़े बर नइ आय रहेवँ। मैं केहेवँ ठीक हे। अँगठा लगावत बइगा बबा पूछिस- स्कूल कब खुलही मास्टर बाबू अबड़ दिन होगे खुलतेच नइहे। मैं कहेवँ अभी तो काँही पता नइये बबा फेर जल्दी खुलही अइसे लागथे। मोर बात ला सुनके बइगा बबा कहिस- सब बिगड़ गे मास्टर ये माता दाई के सेती। मैं पूछेवँ- कोन माता दाई ? कहिस इही करोना माता दाई के सेती। आगू कहिस- कुछ दिन पहिली माता दाई मोला सपना मा दरसन दे रहिस अउ काहत रहिस कि अभी मैं देवारी के आवत ले रइहूँ।  मैं तिखार के फेर पूछेवँ- अउ का का काहत रहिस माता दाई हा बबा?  बइगा बबा कहिस- माता दाई तो कहे बर बहुत कुछ केहे हे फेर बताहूँ तव तैं नइ मानस। मैं केहेवँ- माने बर तो परही बताना बबा। बबा कहिस- माता दाई काहत रहिस गाँव-गाँव मा मोर मान गउँन नइ होही तव मैं बिकराल हो जहूँ अउ गाँव के गाँव उजार देहूँ । मैं केहेवँ- का मान गउँन? कहिस जब मोला खटकरम करे बर बलाबे तव फोरियाके बताहूँ। मैं कहेवँ- ठीक हे फेर महूँ पँदरही पहिली देबी दाई अउ देवता ददा के दरसन पाय रेहेवँ, मोटर मा बइठ का हमर गाँव मा आय रहिन तव ओमन आने बतावत रहिन। बइगा बबा अकचका के कहिस- अच्छा! मैं केहेवँ अच्छा नही एकदम अच्छा, मैं अपन आँखी मा टकटक ले देखे हँव। काहत रहिन कोरोना ले बाँचे के उदीम हमर हाथ मा हे धियान देके सुनव- पहिली सरकार कुती ले रोग ले बँचाय बर जेन नियम बनाय हे ओकर पालन करव। दूसर मनखे ले मनखे के दूरी दू गज होना चाही। तिसर  मुँह मा मुँह तोपना होना जरूरी हे। चौथइया घेरी बेरी अपन हाथ ला साबून मा धोते रहना हे। पँचवइया फोकटे फोकटे बाहिर मा किंजरना नइहेअउ कहूँ कोना ला जुड़ जर खाँसी लेके एके संग आवय अस्पताल जाके डाँक्टर ला बतावव, ये सब करे ले कोरोना रोग दुनिया छोड़ के भाग जाही।
               बइगा महराज थोरकुन बर गुने ला धर लिस अउ कहिस-  तैं मोला अच्छा धँवाथस मास्टर बाबू , ये सब बात टीबी मा बताथे तेन ला मोला बताथस। मैं केहेवँ मै नइ धँवावत हँव बबा धँवावत तो तैं हस, भले टीबी बतावत होही फेर इही बात मोला देबी दाई अउ देवता ददा बताय हे। बइगा बबा कहिस- मैं अतका दिन होगे पूजा पाठ करत तेन ला देबी दाई दरसन नइ देये तव तोला कइसे दरसन दे देही। मैं केहेवँ- अब आगेस लाइन मा, सुन जिंकर किरपा ले मनखे मन कोरोना ले बने होवत हें वो देबी दाई नर्स अउ देवता ददा डाक्टर हर आय। मातादाई जीव लेवय नही जीव बँचाथे, कोरोना कोनो माता दाई नोहय ये बिसानु ले होवइया, एक दुसर मा बगरइया अजार आय अजार। कोरोना माता दाई होतिस तव दाखिल खारिज के फोटू कापी बिन तोर काम नइ अटकतिस तोर करोना माता दाई सब ला बना देतिस। अतका सब ला सुन के बइगा बबा सुटुर सुटुर अपन घर कोती रेंग दिस।

              मनीराम साहू मितान

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हीरा गुरुजी समय:  विषय- वर्तमान के ज्वलंत समस्या "कोरोना वाइरस "

कोरोना करत हे तन मन धन धर्म संस्कृति परंपरा शिक्षा रोजगार के नास

     अइसे तो हर महामारी हा मनखे के नास करे रहिस फेर कोरोना महामारी हा पहिली पइत जन धन के संगे संग शिक्षा, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक ,बेवहारिक नत्ता गोत्ता सबो किसम के नास करिस। मनखे ला सामाजिक प्राणी कहे जाथे।ओहा समाज ले कभू दुरिहाय नइ रहि सकय। फेर कोरोना के सेती सुरक्षा बर सरकार हा मनखे ला मनखे बाहिर कर दिस। घर मा घुसरे रहेबर मजबूर कर दिस।

         मनखे के जनम ले मरन तक किसम किसम के संस्कार होथय जेमा घर परिवार, सगा सोदर,अरोस परोस अऊ चिन पहिचान मन ला संघेरे जाथे।फेर कोरोना महामारी हा सब संस्कार, दुख सुख मा राहू केतू बरोबर गरहन लगा दिस। मंदिर देवाला के पूजा पाठ बंद होगे। तीज तिहार , मड़ई मेला, बजार हाट , होटल के उछाह गँवागे। जेखर आर्थिक घाटा अड़बड़ होइस।

          आर्थिक मंदी बर जतका गोठियाबो कम हे, घर , गाँव, जिला, प्रांत अउ देश ला कतका घाटा होइस एखर आकब नइ करे जा सकय। जब देश के एक मनखे के आवक बाढ़थे तब देश के आवक अउ विकास बाढ़थे। कोरोना हा बनिहार, किसान, बेपारी, ठेकादार, उद्योगपति अउ सबो किसम के कमइया मन के आवक मा कमती कर दिस, बेरोजगार करदिस।कोरोना हा उत्पादन ला कमती करिस अउ एखर सेती मँहगई बाढ़गे। मनखे के घर मा खुसरे रहे ले जिनिस के खपत तो बाढ़िस फेर जिनिस के कमती होगे।गाड़ी, मोटर, बस, रेलगाड़ी, के चलना बंद होय ले कतको मालिक, नउकर बेरोजगार होगे। संस्था मन बंद होय के पारी आ गे। होटल ,ठेला , साग भाजी बेचइया मन ठलहा होगे।

        कोरोना ले बाँचेबर घर मा परिवार मन के संघरा अबड़ दिन ले रहे मा लोग लइका अउ बड़े मन मा हिजगा पारी, मन मुटाव होय लगिस। अइसने बर बिहाव, छठ्ठी , कत्था पूजा अउ मरनी मा जादा सगा सोदर ला नइ पूछे , बलाय ,नेवता हिकारी नइ देय मा वहू मन मुहूँ फूलालिन। उछाह मंगल मा डीजे, बाजा सामियाना बंद होगे। सब उछाह हा सुन्ना सुन्ना होगे। हाय हाय रे कोरोना।

         कोरोना ले राजनीति करइया राजनीतिक मन ला घलाव अबड़ घाटा होइस। गाँव ,शहर, क्षेत्र के विकास के मुद्दा बर  रैली,धरना,हड़ताल करके अपन धाक ला जमाय रखय ओहा रुक गे। सामुदायिक विकास के सबो उदिम फेल होगे। आनलाइन ले सब गोठ बात होवत हे फेर एखर से कोनों बूता पास होथे?

          कोरोना हा सबले बड़े घाटा अउ करिस, वो हमर देश के भविष्य पढ़इया लिखइया मन के इस्कूल, कालेज, ट्रेनिंग सेंटर, सब ला बंद करवा दिस। कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक आयोजन बंद होगे। ठेलहा मनखे के ताकत ला अइसने नास कर दिस। रीता दिमाग मशान के डेरा, ज्ञान अउ बुद्धि के नास कर दिस।आज के उर्जा ला काली बर नइ बउरे जा सकय हमला रोज नवा उर्जा मिलथे।वइसने बीते समय के पा सकत ज्ञान ला आगू अवइया दिन मा पाय बर दुगुना मिहनत करेबर परही।

       सब बात के एक बात कि कोरोना हा मनखे के तन मन, धन ,घर ,परिवार, समाज , गाँव , रोजी रोजगार, बेपार , आवक सब ला मारीच सुबाहू बरोबर विधंस करत हे अउ अपन मुँह मा सुरसा बरोबर लिलत हे।तब का घर मा बइठे बइठे हमर देश के विकास हो जाही ? सब मिलके गुनबो अउ नवा रद्दा खोजबो।


हीरालाल गुरुजी "समय"
छुरा, जिला- गरियाबंद

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 मीता अग्रवाल: "कोरोना वायरस के आतंक"

फागुन के फाग ला गावत गावत हांक सुनाई परिस,कोरोना बीमारी फइलत हे,जउन लाइलाज हे,सोझे मनखे ल धरे तव प्राण लेके दम लेथे।सुनतेच अंतस मा डर के मारे पूरा गाँव  ,सहर,देश  मा हडकंप मचगे,जगह- जगह लाँकडाउन शुरु होगे।नवा नवा बीमारी हवे वहू लाइलाज?
सबो के काम जिहा के तिहा परे रहिगे।
मनखे के जनम मरन परन सब्बो संस्कार ला अपने बस मा करके मोहनी मार दिस कोरोना हा,कि सगा- नता गोतियार सबला दूरिहा दिस।बपुरा वायरस हाअपन दबदबा एइसन जमाय हे,जनो मानो संसार के बडका आंतकी संगठन।नेता, अभिनेता,अमीर- गरीब,वासी प्रवासी,सब ला घरघुसरा बना के अपन अड्डा जमा के कुंडली मार केनाग अस फुफकारथेअउ,अजगर कस रद्दा मा पडे हवय।
आज सरी करोबार, अवई जवाई,गोठ सुरता बर  एकमात्र अधार अउ संगी होगे हवय मोबाइल।सोचथव ये नइ रहितिस तव काय होतिस।सब्बो जानकारी घर मा घुसरे घुसरेइकरे ले मिलत हे,काम-धंधा के साधन कतको इही बने हवय।कोरोना ले बचाव उपाय,सुझाव सोझे इही मा मिल जथे।
देश विदेश मा टीका दवई खोजे बर कतको झिन लगे हे,का होही कोई नई जानय।फेर शासन के उपाय ला बराबर मानते चलत हवय।सब ले पहिली "जान हे तव जहान" वाक्य ला सुरता राख के
आम जनता चुपेचाप बइठे हे।चार महीना होगे अब सबो खेती बारी के काम मा लग गिन, अउ अगोरत रथे,आघुअब अउ का हो ही?
 ये आतंक तो एइसन आय कि जागरूकता के सिवा कोनो किसिम के मदद करे मा मनखे अब अपन ला असहाय महसूस करे लगिन।आर्थिक तंगी ले आज मनखे मनखे जूझते हे,काम-धंधा ठप्प परे ले ,बेरोजगारी बढीस,कोन झन ला नौकरी ले निकाल दिस,कतको बाहिर कमाय खाय ले गये मनखे के घर वापसी ह, कतको झिन के मऊत के कारण बनगे।
शिक्षा, उद्योग,राजनीति, चिकित्सा, सामाजिकता छोटे- बड़े मध्यम वर्ग सबो ये मार अउ समस्या ले जूझते हे,इही आस संग कि एक दिन अइसे आही जहाँ हमर जिनगी मा ये समस्या के उपाय जरुर होही।इही आसा मा जिनगीअउ मनखे चलत हे,देर सबेर सब ठीक होही भगवान ।
फेर तब तक का का छूटही कोन जनी।

मीता अग्रवाल रायपुर छत्तीसगढ़

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निबंध- कोरोना वाइरस

*प्रस्तावना*
               एकठन अइसन वाइरस जेला हमन अपन खुले आँखी ले देख नई पावन, नानकुन गोटी ले कई गुना छोटे हावय। एकर सम्पर्क भोजन आय जेकर कारण तेजी ले फैलत हावय। एकर वैज्ञानिक नाम कोरोना वाइरस (कोविड नाइन्टिन) हावय। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हा एला महामारी घोषित कर दे हावय।

*कोरोना वाइरस काय हरे?*
                 कोरोना वाइरस अइसन वाइरस आय जेकर संक्रमण ले संक्रमित ला जोर के बुखार, सर्दी अउ सूखा खाँसी के संग साँस ले मा तकलीफ होथे। अइसन वाइरस पहली कभू नई देखे गे रहिस हावय। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तेज बुखार, सर्दी, सूखा खाँसी अउ साँस ले मा तकलीफ एकर लक्षण आय। ए वाइरस ला रोके बर कोनो प्रकार के टिका (वैक्सीन) नई बन पाय हावय, विश्व के सबो देश एकर ऊपर अपन टिका बनाय के प्रयोग करत हावय। कोरोना वाइरस संक्रामक रोग होय के कारण सम्पर्क आय ले एक दूसर ऊपर तेजी ले फैलत हावय। ये वाइरस सबले पहली चीन के वुहान मा पाय गे रहिस हावय, ते पाय के एकर जन्म दाता या जन्म स्थान चीन के वुहान शहर ला माने गे हावय। आज ये रोग हा सरी देश ला अपन चपेट मा ले ले हावय।

*कोरोना वाइरस के लक्षण*
              कोविड नाइन्टिन बीमारी के शुरुआती समय मा कोनो प्रकार ले लक्षण नई दिखय। 14 दिन बाद लक्षण एकर दिखथे जेकर कारण संक्रमित मनखे के  पहचान तुरन्ते नई हो पाय। कोरोना रोग मा सबले पहली तेज बुखार फेर सूखा खाँसी, सर्दी अउ साँस ले मा तकलीफ होथे। कोरोना वाइरस के रोग ज्यादा बढ़े  ले साँस ले मा ज्यादा परेशानी, निमोनिया अउ मनखे के मौत तको हो जाथे। सियान-समारत, छोटे-छोटे लइका, गर्भवती महिला अउ  अस्थमा, मधुमेह, हिरदय के बीमारी वाला मन ला ज्यादा खतरा रहिथे। अइसने लक्षण जुकाम अउ फ्लू मा तको पाय जाथे।

*कोरोनो वाइरस ले संक्रमित होगेंव त ?*
          कोरोना वाइरस के ईलाज नइहे एकर बीमारी ला कम करे बर दवाई दे जाथे। आप जब तक ठीक नई होय हव तब तक सबले दूर रहव, ककरो सम्पर्क मा झन आँव। अमेरिका, रूस, इटली, जापान जइसे विकसित देश मन हार खा गे हावय। कोरोनो बीमारी के वैक्सीन बनाय बर काम चलत हावय अउ एंटीवाइरल दवा के परीक्षण तको चलत हावय।

*कोरोनो वाइरस ले बचाव के उपाय*
            कोरोना वाइरस बीमारी महामारी के रूप ले ले  हावय अउ सरी जगत मा अपन पाँव ला पसार सब ला लिलत हावय। कोरोना वाइरस के कोनों ईलाज नइहे एकर बचाव हमर सावधानी ले ही हो सकथे। बचाव के उपाय-
1) घर के बाहिर जावत खानी सदा मास्क ला पहिन के निकलव बिना कारण के घर ले बाहिर झन जाव।
2) अपन आप ला भीड़- भाड़, सावर्जनिक जगह जइसे- हॉस्पिटल, ऑफिस, हाट, दुकान, पारा मोहल्ला के सभा ले दूर रहव।
3) खांसत अउ झिकत खानी मुँह ला तोप के ख़ाँसव झिकव अउ  सार्वजनिक जगह मा झन थुकव।
5) अपन हाथ ला बार बार साबुन पानी ले धोवव अउ एल्कोहल आधारित सेनेटाइजर के उपयोग करव।
6) सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट ( बस, ऑटो- टैक्सी, ट्रेन, रिक्शा ) के उपयोग झन करव।
7) सरकारी आदेश अउ दिशा निर्देश के पालन करव, शासन के गाइड लाइन के अनदेखी झन करव।
8) कोरोना के लक्षण अपन आप मा दिखाई देवत  हावय त शासन ला सूचित करव।
9) कोनो शहर या संक्रमित जगह ले आवत हव त 14 दिन तक अपन आप ला कोरनटाइन करव।
10) अपन मास्क ला सार्वजनिक जगह में झन फेकव ओला जला दव या कचरा पेटी में डार देवव।

*कोरोना वाइरस के दुष्प्रभाव*
           कोरोना वाइरस के गम्भीर दुष्परिणाम निकलिस हावय। आज सरी जगत के अर्थव्यवस्था चरमरा गे हावय अउ कईठिन समस्या ला उजागर कर दे हावय। आज भारत देश मा कोरोना ले लाखो करोड़ो मनखे के रोजगार ला छीन ले हावय। कोरोना के फइले ले दूसर प्रदेश मा जाके कमइया बनिहार अउ मजदूर मन बेरोजगारी अउ गरीबी मा दिन ला काटत हावय।  फैक्टी, बस, ऑफिस, छोटे बड़े दुकान लॉकडाउन मा बन्द होंगे जेकर ले आर्थिक मंदी आगे हावय अउ विकास हा एकदम से ठप होंगे हावय। विद्यालय, महाविद्यालय के बन्द होय ले पढ़ाई लिखाई तको ठप होंगे हावय। लाखो विद्यार्थी मन के भविष्य खराब होवत हावय। कोरोना महाकाल कई ठिन समस्या ला पनपात हावय जइसे- गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य समस्या, सामाजिक अउ परिवारिक जइसन समस्या।

*प्रकृति बर वरदान*
            कोरोना वाइरस के महाकाल मनखे मन बर अभिशाप बनिस त प्रकृति बर वरदान घलो बनिस हावय साबित। कोरोना के चलते सरी जगत मा लॉक डाउन रहिस। मोटर गाड़ी फैक्ट्री मन सब बन्द रहिस जेकर चलते प्रदूषण में कमी आइस। एक रिपोर्ट के हिसाब ले कई बच्छर बाद ये बच्छर प्रदूषण मा 50% गिरावट आइस हावय। आज वातारवरण पहली ले साफ अउ स्वच्छ होंगे हावय। प्रदूषित नदिया मन के पानी मन तको साफ होइस हावय।

*उपसंहार*
              जल्दी से जल्दी कोरोना के फैलत वाइरस ला रोके बर उपाय करें जावय। कोरोना के अइसने मामला बढ़त रही त हमर विकास के गति 50 बछर पछवा जही अउ अइसन दिन आही की कोरोना के महामारी समचे मनखे ला चट कर जाही। मनखे हाथ मा हाथ धरे देखते रह जाही। आज हमन कोरोना ले सीख लेवन अउ प्रकृति से छेड़ छाड़ झन करन। मनखे ले भगवान बने के चक्कर मा अति उपद्रव झन करन, सबो ला अपन समझत मानवता रखिन।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
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6 comments:

  1. बहुत सुग्घर विचार

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  2. बहुत सुग्घर आलेख संग्रह

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  3. संकल मा जगा देय बर आभार

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  4. संकल मा जगा देय बर आभार

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  5. सुग्घर सामयिक संकलन ,जगा दे हे बर धन्यवाद

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  6. सबो रचना बढ़िया अउ समसामयिक हवय,गजब सुघ्घर संकलन

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