Wednesday 22 July 2020

हमर पहिली के नाचा अउ गम्मत*

*हमर पहिली के नाचा अउ गम्मत*

ओ समे हमन छोटे छोटे रहेन , जब हमर मन के गाँव  मा कखरो घर बर बिहाव होवत रहिस , ता ओ समे घर वाला मन हर गड़वा बाजा लगावत रहिन हे । काबर ओ समे अइसन बेंड बाजा , डी जे , अउ धुमाल मन हर नइ रहिस हे । तब ओ समे गाँव मन मा बर बिहाव मन हर अब्बड़ दिन के होवत रहिस हे अइसे लागय , अउ पूरा बिहाव के होवत ले हमन ला , चुलमाटी ले लेके आखरी बिदाई के होवत ले गड़वा बाजा ला सुने बर , अउ रात कुन उनकर मन के नाचा गाना के संग , जोक्कड़ अउ परी मन के हँसी अउ मजाक ले भरे गम्मत घलव देखे बर मिलय ।
जउन ला पूरा गाँव बस्ती भर के लोगन मन के संगे संग आस पास के गाँव के लोगन मन हर घलव देखे बर आवय ।
भले बिहाव हर एक झन के घर मा होवत राहय , फेर उनकर घर के बिहाव मा पूरा गाँव बस्ती भर के लोगन मन हर पूरा हँसी खुशी ले शामिल होवत रहिन हे । अउ पहिली के जउन बर बिहाव होवत रहिस हे उनकर मन के अपन अलगे मजा राहय । अइसन नाचा गम्मत मन ला मँय हर ननपन ले देखत आवत रहेंव , इनकर मन के नाँच गाना अउ परी जोक्कड़ मन के हँसी मजाक ले भरे लोगन मन ला हँसवाय बर जउन गोठ बात राहय ओखर मन ले मँय अब्बड़ प्रभावित रहेंव ।
एक बेर के बात ये मँय अउ मोर एक झन संगवारी ओखर मामी के मइके गाँव गेन मोपकी , अउ उँहा गेन ता उही मेर लगे गाँव हे मोपका । जउन हर हमर क्षेत्र के विधायक जी मन के गाँव रहिस , अउ उँहा हर साल 5 फरवरी के ओमन हर गाँव मा मातर मड़ई के मेला मनावत रहिन । ता घर वाले मन कहिन की आय हव ता चलव मेला देखे बर जाबोन , अउ बताइन की रात मा बड़का कलाकार मन के प्रोग्राम लाय हवय , देखे बर जाबो कहिके । तब रातकुन हमन हर प्रोग्राम देखे बर गेन , ओ प्रोग्राम के नाँव रहिस "चंदैनी गोंदा" , मँय हर नाचा के छोड़ अइसन प्रोग्राम ला एको घव नइ देखे रहेंव ।
पहिली बेर मँय हर चंदैनी गोंदा के प्रोग्राम ला देखेंव , अउ उनकर मन के जउन लोक गीत - संगीत संग हमर मन के लोक पारम्परिक धरोहर के गीत मन के संग । आजादी के पहिली जउन अंग्रेजी शासन रहिस उंखर मन के झाँकी देखावत , अइसन सुग्घर प्रस्तुति ला देख के मोर अन्तस् गदगद होंगे रहिस । भले ओ समे हम कोनो कलाकार मन ला नइ जानत रहेन , फेर चंदैनी गोंदा के प्रोग्राम अउ ओखर नाँव हर मोर अन्तस् भीतरी रच बसगे रहिस ।

ओ समे मोला जइसे ही पता चलतीस की फलाना गाँव मा चंदैनी गोंदा के प्रोग्राम हवय कहिके , मँय हर ओ मउका ला नइ छोड़तेव अउ कइसनो कर के देखे बर जातेव फेर जातेव । ओ समे हमर पहिली के कला अउ कलाकार मन के गोठ बात मन हर सब अलग रहिस हे , अउ आज हमर मन के तीर तखार मा अतेक कलाकार मन के सब अपन अपन अतेक अकन पार्टी होंगे हवै जिंकर मन के गिनती नइये । फेर मँय एक बात कहिथव हमर आज के कलाकार मन हर कतको कन करलय , हमर पहिली के जउन कलाकार रहिन हे अउ उनकर मन के कला गीत अउ संगीत मन मा जउन दम रहिस हे । उनकर मन के जघा ला येमन हर कभू नइ ले सकय ।

           मयारू मोहन कुमार निषाद
            गाँव - लमती , भाटापारा ,
         जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)
            छंद साधक सत्र कक्षा - 4

2 comments:

  1. बहुत सुग्घर भाई जी

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  2. Purana kalakar man ke Kala h antas m base rahay okar alge pahichan rahis badhiya surta krayehuv Bhai bane lagis 🙏🙏🌱🍯🌱🌱🍯🌱🐝🌱
    🌱🍯🌱🌱🍯🌱🌱🌱
    🌱🍯🍯🍯🍯🌱🍯🌱
    🌱🍯🌱🌱🍯🌱🍯🌱
    🌱🍯🌱🌱🍯🌱🍯🌱
    🌼🌱 Hi honey! 🌱🌼

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