Wednesday 22 July 2020

संस्मरण- *बदमाश*

संस्मरण- *बदमाश*
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कक्षा दसवीं पास करे के बाद ग्यारहवीं मा ओकर ले जादा चीन्ह- पहिचान होइस। अभी तक, भले एके इस्कूल मा पढ़त रेहेन, फेर अलग-अलग सेक्शन के सेती नाम भर के परिचय रीहिसे।
        ग्यारहवीं मा तो एके बेंच मा बइठत रेहेन, या कहे जाय कि वीही हा मोर बगल मा आके बइठय। कक्षा भर ले शरारती लइका, जेला मोर सँगवारी मन बड़े घर के बिगड़े नवाब  कहय, अउ सर- मैडम मन अकसर बदमाश के संज्ञा दे देवय। लड़ई-झगरा बर मुँह धोए राहय। ले दे के दसवीं पास होय रीहिसे। ओकर नाव रीहिसे-लवकुमार।
      शिक्षा सत्र के शुरूआती एक दिन गुप्ता सर के गणित क्लास सिरइस, ताहन रिशेष होगे। सबो पढ़ईया लइका मन कक्षा ले निकलिन, फेर लवकुमार मूंड़ धर के बइठ गे। मोला कहिथे-कुछू समझ मा आइस?मैं कहेंव-हौ। वो कहिथे-मोला समझाबे का? अब मैं कइसे नइ काहँव। वोला अपन ढंग ले समझाएँव। त वो अड़बड़ खुश होगे, अउ मोर पीठ मा थपकी देके कहिथे--वाह, दीपक भाई!सहीं मा दसवीं के टापर हरच। गजब समझाएच। गुप्ता सर के अँगरेज़ी मिले हिन्दी मा बने समझ नइ आवय, तैं छत्तीसगढ़ी मा समझाए, त मजा आगे।
       मोला तसल्ली तो होइस, फेर ए बात के फिकर रीहिस, कि वो मोर पाछू झन पर जाय। फेर मोर ए चिन्ता गलत साबित होइस, काबर कि ओहा अउ कभू मोला नइ पदोइस कि ए बता, वो बता। कभी -कभार थोर बहुत  पूछलय। असल मा ओकर धियान पढ़ई मा कम, एती-तेती मा जादा लगे रहय।
        अउ वो दिन गुजरे के बाद ,एक दिन जब दू-चार झन पढ़ईया लइका मन संग कुछू बात मा मोर बहस चलत रीहिसे, त वो आ धमकिस अउ कहिथे--दीपक भाई! कोनो कुछू कहही या करही, त बताबे।
       अइसन दू-तीन बार होइस कि वोहा मोला सुरक्षा देये के अंदाज मा अउ लइका मन ला चमका देवय, हालांकि मैं खुदे ओकर सोहबत ले बाँचे रेहेंव, अउ कभू नइ चाहेंव कि मोर मामला मा ओकर कोनो भूमिका राहय। अउ सिमगा इस्कूल मा पढ़त भर ले अइसन बात नइ अइस।
     फेर एक बात जरूर देखेंव कि जिहाँ वो अउ बड़े-बड़े लइका मन ला जबरन घुड़क दय या चमका दय, वो कभू मोर करा कड़ा जबान मा बात नइ करिस।
      अपन छात्र जीवन के जब भी सुरता करथँव, तब अउ मन बर बदमाश अउ मोर बर शरीफ लइका वो लवकुमार जरूर याद आ जाथे।
      --दीपक निषाद-बनसाँकरा (सिमगा )

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