Tuesday 28 July 2020

छत्तीसगढ़ मा फिलिम के रद्दा कब बदलही

छत्तीसगढ़ मा फिलिम के रद्दा कब बदलही


     आजकल जौन ला देखबे तौन हा फिलिम, सिरियल अउ बजरहा जिनिस बेचइया विज्ञापन करइया मनके नकल करेबर अउ वइसने दिखेबर रिकिम रिकिम के उदिम करत हे।सियान मन कहिते रहिगे कि फिलिम विलिम ला देखव झिन,ये समाज अउ संस्कृति के लीलइया अजगर आय जौन सबो ला लील देही। आज वइसनेच होत हावय। हमर पहिराव ओढ़ाव, खाना पीना,रहना  बसना,संस्कृति, परंपरा ,तीज तिहार, बर बिहाव सबो फिल्मी होगे। 
         आजकल जतका प्रांतीय भाखा मा फिलिम बनत हे ओमा जादा अइसने प्यार मोहब्बती वाला फिलिम हावय जौन ला परिवारिक फिलिम के नाम मा परोसत हे।नान्हे नान्हे कपड़ा लत्ता,देह उघार के रेंगना, नाचना, घुमना, पढ़ेबर जाना सब फैसन होगे।जेठ हा भैया अउ डेड़सास हा दीदी इही फिलिम मनके देय नत्ता होगे।मुड़ी ढाँक के रेंगना अब तइहा के बात होगे नवा नवा गाड़ी मोटर भर्र भर्र चलाय बर हमर नवछटहा लाइकामन ला फिलिम हा देखावत अउ सिखावत हे ।अइसने बनत फिलिम मन हमर जात, समाज, संस्कृति, धरम बर खतरा होवत हे। दाई ददा मन जाँगर टोर मेहनत करके लइका मनला पढ़ाई करे बर,नउकरी करेबर आने जगा अपन ले दूरिहा भेजथे।फेर ओमन पढ़ाई करे के जगा अपन भविष्य ला इही फिलिम कस प्यार मोहब्बती मा झिंंगरा कस फाँस लेथे। अउ अपने गोड़ मा टंगिया मारथे।

               अब देस दुनिया मा नवा रद्दा के फिलिम बनाय के जरुरत हे।बहुत होगे संस्कृति ला बिगाड़े, परिवार ला टोरे फोरे के फिलिम।देस अउ प्रांत मा बेरोजगारी, बिमारी, भ्रष्टाचार, समिलहा परिवार के पुरखौती परंपरा के बिनास हा हाथ गोड़ लमावत हे। एला बने करे के जरुरत हे।व्यावसायिक फिलिम के नाव मा हमर लइकामन करा काय काय परोसत हे एला देखे समझे के जरुरत हे। नवा जुग के नवा किसिम के फिलिम बनत हे जेमा रोबोट, कम्प्युटर , रिमोट हे। फेर एमा घलाव प्यार मोहब्बती , नारी हिनमान, ला मिंझार देवत हे। जनता ला काय मिलत हे। अब बेरोजगार बर रोजगार के उदिम वाला, देस मा डाक्टर के कमती ला दूर करे के उदिम, घर घर मा पानी बचाय के उदिम, खेती किसानी ले दुरिहात पढ़े लिखे चेलिक ला जोड़े के उदिम, पर्यावरण ला सुधारे मा चेलिक मन के सहयोग के उदिम वाला फिलिम बनाय के जरुरत हे।
       कहे जाथे फिलिम हा समाज ला रद्दा देखाय के बूता करथे।फेर आज के फिलिम मनके रद्दा खुदे भुलवाही,भुवन कांदा खुंद डरे हे।एक्कइसवीं सदी मा हमर चेलिक लइका मन ला काय देना हे,ओला फिलिम बनाइया मन बिचार नइ कर पावत हे। प्यार मोहब्बती मा फाँस के राख दे हावय। समाज मा बदलाव अउ नवा  रद्दा देखाय के बूता  फिलिम हा घलाव करथे। तब ये फिलिम मन अपन रद्दा कब बदलही, कब तक दूसर के जात धरम ला मोहबती के नाम मा बिगाड़े के बूता चलते रही,नवा पीढ़ी के चेलिक मन ला कब उबारही इही अगोरा हे।

हीरालाल गुरुजी"समय"
छुरा, जिला-गरियाबंद 

         


          

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