Friday 24 July 2020

महाकाव्य, खंडकाव्य कइसे होना चाही*

*महाकाव्य, खंडकाव्य कइसे होना चाही*

वरिष्ठ मन महाकाव्य, खण्ड काव्य के परिभाषा अउ लक्षण ला बने असन जानथें। इहाँ कुछ नवा रचनाकार मन घलो जुड़े हें उँकर जानकारी बर……...

*महाकाव्य*

अइसन बड़का(दीर्घ) प्रबन्ध ला महाकाव्य कहे जाथे जेमा उत्कृष्ट गुण-सम्पन्न कोनो नायक के घटना-प्रधान अखंड जीवन चरित केविस्तृत वर्णन होथे। काव्यादर्श (दण्डी) अउ काव्यालंकार (रुद्रट) मा वर्णित महाकाव्य के 6 ठन मुख्य लक्षण बताए गेहे - 

(1) महाकाव्य के नायक कोनो देउँता या कोनो सम्राट या कोनो उत्तम गुण-सम्पन्न मनखे हो।

(2) कथानक, इतिहास या लोक मा प्रसिद्ध हो।

(3) वीर, श्रृंगार या शान्त रस गौण हो।

(4) मँझोला आकार के आठ ले ज्यादा सर्ग हो। एक सर्ग, एके छन्द मा रचे गए हो फिर सर्ग के आखिरी मा आने छन्द के धत्ता हो अउ अगला सर्ग के कथानक बर संकेत हो।
(5) सौंदर्य बढ़ाये बर प्रसंग अनुसार प्राकृतिक दृश्य अउ युद्ध जइसन विषय के वर्णन हो।

(6) महाकाव्य के मुख्य उद्देश्य : न्याय, धरम के जीत अउ अन्याय अधरम के नाश हो।

*खण्ड-काव्य*

महाकाव्य के कोनो हिस्सा ला खण्ड काव्य नइ कहे जाय। महाकाव्य मा नायक के जम्मो जिनगी के कई किसम के रूप के चित्रण होथे फेर खंडकाव्य मा ओकर जिनगी के कोनो एक हिस्सा के चित्रण होथे अउ ये चित्रण अपनआप मा पूर्ण होथे।

*उपजीव्य काव्य*

अइसन बहुत बड़े (विशाल) व्यापक प्रभाव-सम्पन्न मर्मस्पर्शी महाकाव्य ला उपजीव्य काव्य कहे जाथे जेकर ले प्रेरणा, भाव, कथा-वस्तु लेके बाद के पीढ़ी के कवि मन अपन काव्य के रचना करथें। रामायण, महाभारत अउ श्रीमद् भागवत अइसने उपजीव्य काव्य आँय। 

*धत्ता*

बड़े काव्य के रचना मा कवि अपन पसंद के या विषय अनुरूप भाव उजागर करे बर उपयुक्त छन्द के प्रयोग करथें। सर्ग लंबा रहे के कारण एक्के किसम के छन्द सुने/पढ़े मा नीरसता झन आ जाए तेपाय के बीच बीच मा आने छन्द डारे जाथे। रस परिवर्तन बर आने छन्द के प्रयोग करई ला धत्ता देना कहे जाथे। रामचरित मानस मा गोस्वामी तुलसीदास जी चौपाई के संग दोहा या सोरठा के धत्ता देइन हें। 

*कड़वक*

धत्ता अउ मुख्य छन्द के गुच्छा ला कड़वक कहे जाथे।

*अरुण कुमार निगम*

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर जानकारी गुरुदेव जी सादर नमन।

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  2. अपन अंतस के ज्ञान बहुत सुघ्घर ढंग ले हमर बीच मा परोसे हव गुरुदेव। आप के संगत पा के हंसा के संग मा बगुला मन घलो तर जाथे कहिथे, वइसने हमुमन अपन सामर्थ्य हिसाब ले जरूर कोशिश करबो। प्रणम्य गुरुदेव।

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  3. बहुत सुग्घर जानकारी गुरुदेव,गद्य लेखन बर अनमोल ज्ञान👏👌💐💐

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  4. सुग्घर ज्ञान के बात गुरुदेवजी।सादर प्रणाम

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