Wednesday 22 July 2020

महतारी के हिम्मत-हीरा गुरुजी समय

महतारी के हिम्मत-हीरा गुरुजी समय

 27 दिसंबर 2010 हमर जगन्नाथ पुरी यात्रा के तीसर दिन रहय। इस्कूल के 40 लइका, 2 मास्टरिन ,मोर संगवारी पटवारी के अउ मोर परिवार सबोझन ला पानी के लहरा के मजा लेयबर एक घाँव अउ समुंदर मा लेगेन।11वीं 12 वीं के बड़े लइकामन बहुते जिद करे रहिन। सबो लइकामन अपन कपड़ा, पनही, बेग ला पार मा राख के समुंदर के पानी मा नहाय के मजा लेय चल दीन मँय अउ पटवारी साहब रखवारी मा लग गेन।इस्कूल के मास्टरिन  अउ हमर गोसाइन मन ला हियाव करेबर भेजेन।वहू मन अपन लइकामन ला धर के चल दीन। कतको लइका मन नहावत  नहावत फोटू घलाव खींचवावत रहिन।अपन अपन हिसाब ले सब आनंद लेत रहय जेखर बखान नइ हो सकय।
       आठ बजे गय रहेन अउ 11 बजेबर जावत रहय।फेर लइकामन ला न भूख लगे न पियास। लहुट के धर्मशाला जाय बर कतको बरजे मा नइ मानय। आखिर साढ़े ग्यारा बजे सबो लइकामन ला सकेलेन। काबर कि संझा के गाड़ी ले घर लहुटना रहय।सब लइका के हियाव करेन तब हमर संग आय पूर्णिमा मास्टरिन के अढ़ाई बच्छर के लइका राहुल अउ पाँच बच्छर के ओखर दीदी नइ दिखीस। एती ओती नजर घुमाएन ता सड़क डाहर ले दूनो भाई बहिनी रोवत आवत दिखीस। पूर्णिमा मास्टिरन हा दँउड़त लइकामन कर गइस ता देखथे कि राहुल के मुँहू डाहर ले लहू निकलत है।ओखरो आँखी डबडबा गे। हमूमन सकपका गेन। नोनी हा बताइस कि राहूल हा सिढ़िहा मा दँउड़त रहिस ता गिरगे। ओखर ओठ हा बड़ेजन कटा गे रहय, कठल कठल के रोवत रहय। लहू के धार रुकबे नइ करय।डेटाल अउ दवई पानी हा धर्मशाला या रहय। पटवारी साहब हा सबो लइका ला तुरते धर्मशाला चलव कहिके लकर धकर लेगीन, अउ मोला राहूल ला अस्पताल लेगेबर कहिस।मँय अउ पूर्णिमा मास्टिरन एक झन रिक्शा वाले ला रोक के अस्पताल कहाँ हे कहिके पूछेन। भाखा ला आधा समझिस फेर भाव ला समझत तुरते तीर के सरकारी अस्पताल मा लानिस। उहाँ सबो कर्मचारी उड़िया भाखा मा गोठियावय।आधा समझ आवय आधा नइ आवय।
          पर्ची बनाके डाक्टर ला देखाएन ता ओहा टांका लगायबर लागही कहिदीस।खर्चा बर पूछेन ता सबो जिनिस बाहिर ले लायबर कहिस। मँय तुरते नजीक  के मेडिकल ले लायेंव, फेर टाँका लगइया हा चहा पीयेबर चल दे रहय। अस्पताल आय एक घंटा असन होगे रहय।कम्पोटर हा आइस ताहन लइका ला लानव कहिस। मँय मास्टरिन ला बाहिर मा बइठार के राहुल ला धर के लेज के टेबल मा सुताएँव। सुजी ला देख के सुसकत राहूल हा अउ गोहार पार के रोय अउ हाथ गोड़ ला झटकारे लागिस।ओला सुनके पूर्णिमा मास्टिरन भितरी मा आगे अउ ओला मनाइस। जब अोठ ला टाँका मारेबर सुजी ला गोभिस ता नानकुन लइका के रोवई मा अकाश पताल डोलगे।नान्हे पोटा के मनखे उही कर मूर्छा हो जातिस। लइका के गोड़ हाथ ला चपके रहँव ते मोरो हिम्मत कच्चा होगे। फेर धन ओ महतारी जौन अपन लइका ला बने करेबर हिम्मत करके छाती मा पखरा लदक के दूनो हाथ ला धरीस । लइका हा पढ़ पढ़ के रोवय अउ गोभात सुजी के पीरा ला सहय।एती महतारी हा आँखी ले आँसू बोहात रहय फेर लइका ला हिम्मत देवात रहय अउ बिना सून करे अपन करेजा के अंश लइका के ओठ ला सुजी मा टाँका लगात देखत रहय। 15 मिनट मा टाँका अउ टिटनस के सुजी लगाई हा पूरा होइस।
      टाँका लगे के पाछू डाक्टर ला फेर देखाएन।ओहा घाव भरे के दवई लिखिस। मँय फेर एक घाँव उही मेडिकल गयेव अउ दवई लायेव तब तक मास्टरिन हा राहुल ला दूध पियावत छाती मा पोटारे सुता डारे रहिस। अस्पताल ले हमर धर्मशाला हा जादा दुरिहा मा नइ रहिस ता मँय राहुल ला धरेंव अउ मास्टरिन ला पाछू पाछू आय ला कहिके रेंगत रेंगत धर्मशाला आयेन।।डेढ़ बजत रहय, हमन नहाय खोरे नइ रहन।  धर्मशाला में पटवारी साहब हा इस्कूल वाले सबो लइका ला नहवा खवा के कुछू चिन्हा अपन अपन घर बर लेय देय बर बजार भेज दे रहिस। मँय राहुल ला पंखा के तीर मा सुता के नहाय बर चल देंव। थोरिक बेरा मा मास्टरिन घलाव नहा के आइस फेर ओला भात खवाय बर होटल लेगेंव। उही डाहर ले बजार करत अउ हमरो घर वाले मन बर कुछू चिन्हा लेवत अउ लइकामन ला सकेलत धर्मशाला लहुटेन। राहुल उठ के खेलत रहय। साढ़े चार बजे आटो मा बइठार के सबो लइका अउ परिवार संग स्टेशन आ गयेन।
      आज घलाव जब नान नान  लइका ला खेलत दँउड़त अउ गिरत देखथँव ता ,ओ जगन्नाथ पुरी यात्रा के राहुल अउ पूर्णिमा मास्टरिन के सुरता आ जाथे।


हीरालाल गुरुजी" समय"
छुरा, जिला-गरियाबंद

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